स्वच्छ भारत मिशन योजना के तहत गया नगर निगम कचरा से बना रहा जैविक खाद, लहलहा रही फसल
गया शहर से निकलने वाले शत-प्रतिशत कचरे का निष्पादन करने का काम किया जा रहा है। नैली स्थित डंपिंग क्षेत्र में कई मशीन लगाकर कचरे का निष्पादन हो रहा है, जहां गीला कचरे से जैविक खाद बनाकर किसानों के खेत तक पहुंच रहा है। खेतों तक जैविक खाद पहुंचने का काम नेशनल गल्फ फर्टिलाइजर लिमिटेड कर रहा है। वहीं सूखा कचरे के सामग्री को दस जगह अलग-अलग कर बाजार में बेचा जा रहा है। जिससे नगर निगम की आय बढ़ रही है। नगर निगम ने इस मद में करीब 30 करोड़ रुपये की खर्च किया था।
स्वच्छ भारत मिशन योजना के तहत प्लांट लगाया है। शहर में निकलने वाले कचरे को निष्पादन हरहाल में नगर निगम को करना है। कचरे का निष्पादन नहीं करने वाले नगर निगम एनडीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) द्वारा फाइन के साथ स्वच्छ भारत मिशन योजन के तहत मिलने वाले राशि भी बंद कर दिया जाता।
भोपाल की निजी कंपनी सूखे और गीले दोनों प्रकार के कचरे का निष्पादन कर रही है। प्लांट में कार्यरत मैनेजर दर्शन जैन ने कहा कि फिलहाल कचरे से जैविक खाद तैयार किया जा रहा है। जल्द ही कचरे से निकलने वाले कपड़े से रस्सी, घरों का मलवा से ईंट एवं पेवर ब्लॉक तैयार होगा।
प्रत्येक दिन बन रहा 25 टन जैविक खाद
नैली डंपिंग ग्राउंड पर प्रत्येक दिन शहर और बोधगया से 450 टन कचरा जा रहा है। जिसमें 60 प्रतिशत गीला और 40 प्रतिशत सूखा कचरा रहता है। गीला से प्रत्येक दिन 25 टन जैविक खाद तैयार हो रहा है। गीला कचरा में रोटी, चावल, दाल, सब्जी, पेड का पत्ता, चिकन एवं मांस होता है, जबकि सूखा कचरे में प्लास्टिक, कापी-किताब, कपड़ा, लोहा, बोतल आदि सामान होता है। सभी को अलग-अलग कर बाजार में बेचा रहा है। वहीं, जैविक खाद किसान खरीद रहे है। जैविक खाद किसानों को डेढ़ रुपये किलो दिया जा रहा है। जैविक खाद का 50 किलो का पैकेट तैयार किया जा रहा है।
20 महीने से कचरा का हो रहा निष्पादन
नगर निगम कचरे का निष्पादन पिछले साल अप्रैल महीना से कर रहा है। गीला कचरा से जैविक खाद तैयार हो रहा है। जबकि निष्पादन नहीं होने वाला प्लास्टिक को सीमेंट फैक्ट्री में भेजा रहा है। प्रत्येक महीना सौ टन प्लास्टिक को सीमेंट फैक्ट्री में जा रहा है।
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