केंद्रीय गृह सचिव, भारत ने 10वें इंटरपोल संपर्क अधिकारियों के सम्मेलन का उद्घाटन किया

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10वें इंटरपोल संपर्क अधिकारियों (आईएलओ) के सम्मेलन का उद्घाटन आज भारत के केंद्रीय गृह सचिव श्री गोविंद मोहन ने सीबीआई मुख्यालय, नई दिल्ली में किया

इस वर्ष आईएलओ का सम्मेलन आगामी संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय पुलिस सहयोग दिवस की पूर्व संध्या पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा ‘अंतर्राष्ट्रीय कानून प्रवर्तन साझेदारी को मजबूत करना’ विषय पर आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में सभी केंद्रीय, राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारियों तथा कई देशों के अंतर्राष्ट्रीय पुलिस संपर्क अधिकारियों ने हिस्सा लिया। उद्घाटन सत्र में भारत व इंटरपोल, यूरोपोल और ग्लोब(Globe) नेटवर्क के सदस्य देशों के कानून प्रवर्तन कर्मियों ने वर्चुअल रूप से(Virtually) हिस्सा लिया।

अपने उद्घाटन भाषण में, केंद्रीय गृह सचिव ने प्रौद्योगिकी-सक्षम अपराधों के तेजी से विकसित हो रहे परिदृश्य, जो सीमाओं को पार कर जाता है, से निपटने में अंतर्राष्ट्रीय पुलिस सहयोग के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय अपराध एवं संगठित अपराधों के खतरे से निपटने के लिए वास्तविक समय में अंतर्राष्ट्रीय पुलिस सहयोग की आवश्यकता हैl उन्होंने जोर देकर कहा कि “अपराध व अपराधियों के अंतरराष्ट्रीय फैलाव ने विदेशों में जांच की आवश्यकता को बढ़ा दिया है। अपराध की रोकथाम, पता लगाना, जांच व अभियोजन, डिजिटल साक्ष्य एवं विदेश में स्थित साक्ष्य पर तेजी से निर्भर हो रहा है”। उन्होंने आगे कहा कि “साइबर सक्षम वित्तीय अपराध, ऑनलाइन कट्टरता व अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध नेटवर्क सहित नए युग के अपराध सीमाओं तक सीमित नहीं हैं। आपस में तेजी से जुड़ती दुनिया में, अंतर्राष्ट्रीय पुलिस सहयोग के महत्व को कम करके नहीं आंका जा सकता है”।

श्री गोविंद मोहन ने आतंकवाद, अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध नेटवर्क, ऑनलाइन कट्टरपंथ, नशीली दवाओं के अवैध प्रसार, हथियारों की तस्करी, साइबर अपराध, ऑनलाइन बाल यौन शोषण, मानव तस्करी, वन्यजीव एवं पर्यावरण अपराध, आर्थिक अपराध, अपराध से प्राप्त धनराशि का शोधन, आतंकवाद के वित्तपोषण आदि से उत्पन्न आसन्न खतरों के लिए वैश्विक स्तर पर कानून प्रवर्तन एजेंसियों के मध्य घनिष्ठ समन्वय तथा वास्तविक समय में सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि दुनिया में कहीं भी अपराध, अपराध से प्राप्त धनराशि और आतंकवाद के लिए सुरक्षित पनाहगाह, हर देश के लिए गंभीर खतरा हैं। तेजी से आपस में जुड़ती दुनिया को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जुड़ी पुलिसिंग की जरूरत है। अपराधियों एवं कानून से भगोड़ों को अंतरराष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र में अंतर का फायदा उठाकर सुरक्षित पनाहगाह नहीं मिलनी चाहिए तथा उन्हें न्याय के कटघरे में खड़ा किया जाना चाहिए।

केंद्रीय गृह सचिव ने आतंकवाद सहित अपराधों से निपटने के महत्व पर जोर देते हुए 90वीं इंटरपोल महासभा के समापन सत्र के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री के संबोधन को उद्धृत किया, जिसमें उन्होंने जोर देकर कहा था, “मेरा दृढ़ विश्वास है कि आतंकवाद मानव अधिकारों का सबसे बड़ा उल्लंघन है”। अपराध की बदलती प्रकृति पर केन्द्रीय गृह सचिव ने केन्द्रीय गृहमंत्री के संबोधन को आगे उद्धृत किया, जिसमें गृहमंत्री ने कहा था, “डेटा एवं सूचना में क्रांति की विशेषता वाले इस दौर में, अपराध व अपराधियों की प्रकृति बदल गई है। आज, अपराध सीमाविहीन हो गया है और अगर हम इस तरह के अपराध एवं इन अपराधियों को रोकना चाहते हैं, तो हम सभी को पारंपरिक भौगोलिक सीमाओं से परे सोचना होगा, इसलिए, हमें इस पर सोचना होगा तथा कार्य करना होगा”।

यह बताते हुए कि भारत इंटरपोल के शुरुआती सदस्यों में से एक रहा है, केंद्रीय गृह सचिव ने कहा कि भारत इंटरपोल का अपेक्षाकृत अधिक सक्रिय सदस्य रहा है, जिसने वर्ष 1997 एवं 2022 में दो बार इंटरपोल महासभा सत्रों की मेजबानी सहित विभिन्न सम्मेलनों की मेजबानी की है। अंतर्राष्ट्रीय पुलिस सहयोग हेतु हाल की पहलों के बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय की मंजूरी से भारत व यूरोपीय संघ के मध्य कानून प्रवर्तन सहयोग को मजबूत करने के लिए सीबीआई द्वारा मार्च, 2024 में यूरोपोल के साथ एक कार्य व्यवस्था पर हस्ताक्षर किए गए थे, सीबीआई अकादमी, पुलिस क्षमता निर्माण को बढ़ाने के लिए अगस्त, 2023 में इंटरपोल ग्लोबल अकादमी नेटवर्क में शामिल हुई और भारत इंटरपोल के अंतर्राष्ट्रीय बाल यौन शोषण (आईसीएसई) डेटाबेस में शामिल हो गया, जो बाल यौन शोषण एवं उसके विरुद्ध मुकाबले हेतु एक महत्वपूर्ण व्यवस्था प्रदान करता है। उन्होंने वर्ष 2022 में सीबीआई द्वारा स्थापित ग्लोबल ऑपरेशन सेंटर के महत्व को भी रेखांकित किया एवं कहा कि यह केंद्र, दैनिक आधार पर सहायता के लिए आने व जाने वाले 200-300 अनुरोधों को देखा रहा है।

सम्मेलन के दौरान आयोजित विभिन्न सत्रों, जिसमें आपराधिक मामलों में अंतर्राष्ट्रीय पारस्परिक कानूनी सहायता एवं गृह मंत्रालय पोर्टल पर चर्चा की गई, का उल्लेख करते हुए, उन्होंने कहा कि आईएलओ, अनुरोध पत्रों तथा पारस्परिक कानूनी सहायता अनुरोधों(Letter of Requests and Mutual Legal Assistance Requests) को निष्पादित करने में महत्वपूर्ण समन्वयकारी भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि इस संबंध में भारत के केंद्रीय प्राधिकरण के रूप में गृह मंत्रालय सीधे या राजनयिक चैनलों के माध्यम से सहायता के सभी अनुरोधों को प्रेषित एवं प्राप्त करता है, साथ ही कहा कि गृह मंत्रालय ने सार्थक अनुरोधों का मसौदा तैयार करने हेतु गवाहों की जांच व टेम्पलेट्स(Templates) के लिए विस्तृत रूपरेखा प्रदान करते हुए व्यापक दिशानिर्देश जारी किए हैं। उन्होंने दिसंबर, 2022 में लॉन्च किए गए ऑनलाइन पोर्टल का भी उल्लेख किया, जिसे गृह मंत्रालय ने आईएलओ एवं सीबीआई के परामर्श से विकसित किया है और इस बात पर जोर दिया कि यह पोर्टल सभी हितधारकों को एक ही मंच पर लाने में एक महत्वपूर्ण बदलाव रहा है, जिसका इंटरफ़ेस उपयोगकर्ता के अनुकूल है।

प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए, निदेशक सीबीआई, श्री प्रवीण सूद ने कहा कि “आज दुनिया आतंकवाद, ऑनलाइन कट्टरता, साइबर सक्षम वित्तीय अपराध, ऑनलाइन बाल यौन शोषण, भ्रष्टाचार, मादक पदार्थों की तस्करी, आतंकवाद के वित्तपोषण व संगठित अपराध जैसे कई गंभीर एवं वैश्विक बहु-अपराधों(Globalized Poly-Crimes) तथा खतरों का सामना कर रही है। भारत में पुलिस, मजबूत कानूनी ढांचे, अभिनव पहल, प्रौद्योगिकी के उपयोग एवं सक्रिय अंतरराष्ट्रीय सहयोग के संयोजन के माध्यम से इन चुनौतियों का समाधान करने में सबसे आगे रही है।” उन्होंने कहा कि “कानून प्रवर्तन पेशेवरों को आपराधिक मामलों में अंतर्राष्ट्रीय सहायता के समन्वय के विभिन्न तरीकों से अच्छी तरह परिचित होना चाहिए”।

यह बताते हुए कि भारत वर्ष 1949 में इंटरपोल में शामिल हुआ एवं इंटरपोल की परिचालन व संगठनात्मक सफलता में लगातार योगदान दिया है, श्री सूद ने कहा कि भारत में इंटरपोल के लिए राष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो के रूप में सीबीआई, इंटरपोल संपर्क अधिकारियों के माध्यम से केंद्रीय एवं राज्य दोनों स्तरों पर सभी कानून प्रवर्तन एजेंसियों को जोड़ती है। उन्होंने बताया कि सीबीआई के ग्लोबल ऑपरेशन सेन्टर ने वर्ष 2023 में 17,368 अंतर्राष्ट्रीय सहायता अनुरोधों को देखा है और भारतीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा वांछित अपराधियों व भगोड़ों पर इंटरपोल द्वारा 100 से अधिक रेड नोटिस जारी किए गए हैं, जो एक वर्ष में अब तक की सबसे अधिक संख्या है। उन्होंने यह भी बताया कि इंटरपोल एवं अंतर्राष्ट्रीय कानून प्रवर्तन भागीदारों के साथ, वर्ष 2023 में 29 वांछित अपराधियों को भारत वापस लाया गया तथा वर्ष 2024 में अब तक 19 को वापस लाया गया। प्रौद्योगिकी सक्षम अपराधों के अधिक प्रचलित होने के आलोक में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने कहा, “अपराधियों को अब सीमाओं की कोई विवशता नहीं रह गई है, और न ही उनसे निपटने के हमारे प्रयासों की कोई सीमा होनी चाहिए।”

विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने प्रतिभागियों को प्रत्यर्पण, अनंतिम गिरफ्तारी एवं स्थानीय अभियोजन से जुड़ी पेचीदगियों के बारे में जानकारी दी। सम्मलेन में विभिन्न सत्र, इंटरपोल चैनलों, ग्लोब (Globe) नेटवर्क व जटिल अंतरराष्ट्रीय अपराधों की जांच के संचालन पर केंद्रित थे।

‘अंतर्राष्ट्रीय कानून प्रवर्तन साझेदारी को मजबूत करना’ विषय पर विशेषज्ञों की गोलमेज बैठक में बीकेए (जर्मनी), एफबीआई (यूएसए), सीबीआई, नेशनल पुलिस एजेंसी (जापान), नेशनल अपराध एजेंसी (यूके), पीडीआई (चिली) एवं नेपाल पुलिस के वक्ताओं ने हिस्सा लिया। वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि अपराध का वैश्वीकरण एक बड़ी चुनौती है। इन खतरों का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के लिए विभिन्न देशों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ घनिष्ठ सहयोग और भागीदारी की आवश्यकता है तथा पहले से कहीं अधिक ठोस एवं वास्तविक समय में अंतरराष्ट्रीय पुलिस सहयोग की आवश्यकता है।

भारत में इंटरपोल हेतु राष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो (एनसीबी नई दिल्ली) के रूप में,केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) भारत में सभी कानून प्रवर्तन एजेंसियों को केंद्रीय एवं राज्य/संघ शासित प्रदेश स्तर पर नामित इंटरपोल संपर्क अधिकारियों के माध्यम से जोड़ता है। सीबीआई अपराध, अपराधियों एवं अपराध से प्राप्त धनराशि से निपटने हेतु अंतरराष्ट्रीय पुलिस सहयोग के औपचारिक तथा अनौपचारिक साधनों के उपयोग को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने के उद्देश्य से वर्ष 2003 से आईएलओ सम्मेलन का आयोजन कर रही है।