बिहार के दो बड़े नेता लालू प्रसाद और जीतन राम मांझी के बीच जाति को जुबानी जंग चल रही है और दोनों तरफ से लगातार बयानबाजी हो रही है। ऐसे में अब सांसद चिराग पासवान ने भी दोनों नेताओं के बीच चल रहे जुबानी वार को लेकर बड़ा बयान दिया है।
पटना से दिल्ली रवाना होने से पहले चिराग पासवान ने कहा की पहली बात तो यह की जीतनराम मांझी जी आदरणीय लालू प्रसाद यादव जी दो ऐसे व्यक्तियों के बीच का विवाद है तो इसमें दोनों ही रुतबे में और तजुर्बे में मुझे बहुत ही बड़े हैं। ऐसे में छोटा होने के नाते उनके विवाद में मुझे बोलना बनता नहीं हैl एक पार्टी का अध्यक्ष होने के नाते और एक बिहारी होने के नाते मैं जात-पात धर्म मजहब पर विश्वास नहीं करता हूं। ऐसे में जातीयता को आधार बनाकर टिप्पणी की जा रही है। मैं कतई इसका पक्षधर नहीं हूं।
जीतन राम मांझी जी को अपमानित करने की दृष्टि के साथ जाति का जिक्र किया गया ऐसे में यह सोच पूरी तरीके से गलत हैl यह न सिर्फ एक व्यक्ति विशेष का बल्कि जी महा दलित समुदाय से वह आते हैं उस पूरे समुदाय का अपमान है। ऐसे में इस तरीके की जातीयता विवाद को बहुत सोच समझ कर आदरणीय लालू प्रसाद यादव जी को अपना वक्तव्य रखना चाहिए। कहीं ना कहीं एक बड़ा वर्ग महादलित समुदाय से आने वाला आहत जरूर हुआ है।
बंगाल के बिहारी छात्रों की पिटाई पर बोले
इससे ज्यादा शर्मनाक कोई भी घटना नहीं हो सकती हैl बिहार फर्स्ट और बिहारी फर्स्ट के माध्यम से मैं हमेशा इस चिंता को जाहिर किया है कि किस तरीके से दूसरे राज्यों में बिहारियों को अपमानित किया जाता है उनपर अत्याचार किया जाता हैl उनको गाली गलौज की जाती है। एक बार पुनः हमें बंगाल में देखने को मिला। जिस तरीके से बंगाल में सिर्फ क्षेत्रवाद को लेकर क्योंकि वह बिहारी है, उनके साथ मारपीट की गई, संविधान इसकी अनुमति नहीं देता है।
चिराग ने कहा कि इन लोगों को जानने की जरूरत है जो अधिकार हर भारतीय को देता है कि वह किसी भी राज्य में जाकर शिक्षा प्रदान कर सकते हैं । पर,ममता बनर्जी की जो सरकार वहां पर है टीएमसी की सरकार की सोच की बिहार के लोगों पर लाठी चलाई जाए उनको गाली दी जाए।
राहुल से मांगा जवाब
ऐसे में जो लोग उनके साथ गठबंधन में है तथा कथित इंडी गठबंधन के नेता प्रतिपक्ष जिस दल से आते हैं वह भी गठबंधन में है और उनको जवाब देने की जरूरत है जब आपके सहयोगी दल आपके लोगों पर लाठी चलते हैं। गाली देते हैं। उन्हें अपमानित करते हैं तो वैसे में नैतिकता आधार नहीं बनती उसे गठबंधन से अपने आप को दूर करना, क्या सत्ता की लालच में यह उनके साथ गठबंधन में बने रहेंगे।