पटना के IGIMS में अनोखा ऑपरेशन, बिना बेहोश किये ओपन हार्ट सर्जरी, मरीज सुनता रहा हनुमान चालीसा
बिहार के पटना के आईजीआईएमएस में एक अनोखा सर्जरी हुई है. हृदय रोग विभाग में चिकित्सकों की टीम ने दरभंगा के 80 वर्षीय एक वृद्ध की सफलतापूर्वक ओपन हार्ट सर्जरी की है. इस दौरान मनीष को बेहोश नहीं किया गया और मरीज पूरे सर्जरी के दौरान डेढ़ घंटे हनुमान चालीसा सुनता रहा।
बिना बेहोश किए ओपेन हार्ट सर्जरी: मरीज की हालत अब स्थिर है. यह ऑपरेशन अस्पताल के सीटीवीएस विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर शील अवनीश और उनकी टीम ने किया है. पूरे सर्जरी के दौरान मरीज डॉक्टरों से बात भी करते रहे. अस्पताल के अधीक्षक डॉ मनीष मंडल ने बताया कि मरीज के हृदय में 99% ब्लॉकेज था. राज्यभर के कई सरकारी और निजी अस्पताल में मरीज की स्थिति को देखकर ऑपरेशन नहीं किया गया।
“यह ऑपरेशन सिर्फ हार्ट के सीएबीजी विधि से ही संभव था. अस्पताल में मरीज के पहुंचने पर आयुष्मान योजना के तहत निशुल्क इलाज हुआ है और मरीज की तबीयत ठीक है. पूर्वी भारत में पहली बार डॉक्टरों ने इस तरह का जटिल ऑपरेशन किया है.”- डॉ मनीष मंडल,अधीक्षक,IGIMS
ऑपरेशन के दौरान हनुमान चालीसा सुनता रहा मरीज: डॉ मनीष मंडल ने बताया कि पूरे विश्व में 10 लाख मरीजों में से एक मरीज के इस तरह के ऑपरेशन की जरूरत होती है. ऐसे ऑपरेशन में जोखिम भी बहुत होता है क्योंकि मरीज को वेंटिलेटर पर नहीं रखा गया था. बहुत ही अनुभवी सर्जनों और विशेषज्ञ एनेस्थीसिया की टीम होने से ही यह संभव हो सका है. मरीज पूरे सर्जरी के दौरान हनुमान चालीसा सुनता रहा।
हालत में तेजी से सुधार: ऑपरेशन के दो घंटे के बाद मरीज को सामान्य भोजन भी दिया गया और उनकी हालत में तेजी से सुधार हो रहा है. तीन- चार दिनों में अस्पताल से मरीज को छुट्टी भी मिल जाएगी. इस दुर्लभ सर्जरी के सफल होने पर आईजीआईएमएस के निदेशक डॉ. बिंदे कुमार, उपनिदेशक डॉ. विभूति प्रसन्न सिन्हा ने पूरी टीम को बधाई दी है।
कई बीमारियों से ग्रसित था पेशेंट: इस टीम में सीटीवीएस डॉ. तुषार कुमार, डॉ. अभिनव, डॉ. समर, एनेस्थीसिया के हेड डॉ. पीके दुबे, डॉ. आलोक भारती, डॉ. आलोक कुमार, विशेषज्ञ नर्सिंग स्टाफ श्वेता कुमारी, कुमारी ज्योत्सना, परफ्यूशनिस्ट प्रियांशु प्रिया, सैयद शाहरुख और दिया प्रकाश शामिल रहे. डॉ. शील अवनीश ने बताया कि दरभंगा की कुशेश्वरस्थान के यह 80 वर्षीय बुजुर्ग डायबिटीज, किडनी, फेफड़े और अस्थमा की बीमारी से भी ग्रसित थे. इनके हार्ट के दो नसों में 99 प्रतिशत ब्लॉकेज था।
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