यूपी में उपचुनाव और 2 राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई को लेकर सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने सोमवार को मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि याचिका के जरिए उठाए गए मुद्दे के संबंध में कुछ दिशा-निर्देश बनाने का प्रस्ताव देते हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि आरोपी होने के आधार पर किसी के घर को गिराना उचित नहीं है। इस बीच यूपी सरकार ने भी बुलडोजर एक्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया है।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद अखिलेश यादव और मायावती ने योगी सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि ये निर्णय यूपी सरकार के मुंह पर तमाचा है। इस मामले पर न्यूज 24 के वरिष्ठ पत्रकार राजीव रंजन ने कहा कि देश में हर कोई चाहता है कि कानून-व्यवस्था खराब नहीं हो लेकिन उसके लिए एक जैसा मापदंड हो। जैसे किसी जिले में टाॅप-10 अधिकारियों की सूची बनाई जाए और उसके हिसाब से एक्शन हो। ठीक वैसे ही नेताओं की सूची भी बनाई जाए। जाति-धर्म के आधार पर किसी पर विशेष मेहरबानी नहीं हानी चाहिए। ना ही जाति धर्म के आधार पर बुलडोजर एक्शन होना चाहिए।
योगी सरकार का हलफनामा हास्यास्पद
राजीव रंजन ने बुलडोजर एक्शन पर यूपी सरकार के हलफनामे की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि यूपी में नगर निगम के अफसरों को आरोपी पर एफआईआर के बाद ही क्यों पता चलता है कि उसका घर अवैध है। इससे पहले यह जानकारी सामने क्यों नहीं आती। वरिष्ठ पत्रकार ने हलफनामे को हास्यास्पद बता दिया। उन्होंने कहा कि ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है। राजीव रंजन ने कहा कि यूपी में योगी राज में पिछले 10 सालों में जो बड़ा बदलाव आया है वह कानून-व्यवस्था को लेकर है। 25 साल पहले यह स्थिति नहीं थी।
बता दें कि यूपी में आने वाले कुछ महीनों में विधानसभा की 10 सीटों पर उपचुनाव होने हैं। इससे पहले योगी सरकार के बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी चुनावी मुद्दा बन सकती है। अखिलेश यादव इसे योगी सरकार की विफलता के तौर पर प्रदर्शित करेंगे।