यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) से अप्रैल-जुलाई की अवधि में 81 लाख करोड़ रुपये से अधिक का लेनदेन हुआ है। इसमें सालाना आधार पर 37 प्रतिशत की बढ़त देखने को मिली है। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
ग्लोबल पेमेंट्स हब पेसिक्योर की ओर से जारी किए गए लेटेस्ट डेटा में कहा गया है कि यूपीआई से प्रति सेकंड 3,729.1 लेनदेन हो रहे हैं। 2022 में यह आंकड़ा 2,348 लेनदेन प्रति सेकंड था। इस दौरान यूपीआई से लेनदेन में 58 प्रतिशत का इजाफा देखा गया है।
आंकड़ों के मुताबिक यूपीआई लेनदेन की संख्या के मामले में भारत, चीन के अलीपे, अमेरिका के पेपाल और ब्राजील के पिक्स से काफी आगे निकल गया है।
जुलाई में यूपीआई से कुल 20.6 लाख करोड़ रुपये के लेनदेन हुए। यह अब तक दर्ज किया गया यूपीआई लेनदेन का सबसे बड़ा आंकड़ा है। इसके अलावा यूपीआई से होने वाले लेनदेन की कुल वैल्यू लगातार तीन महीने से 20 लाख करोड़ रुपये के ऊपर बनी हुई है।
पेसिक्योर की ओर से यह डेटा दुनियाभर के शीर्ष वैकल्पिक भुगतान के तरीकों में से 40 की जांच करने के बाद जारी किया गया है।
पेसिक्योर के डेटा के मुताबिक, दुनिया में डिजिटल लेनदेन के मामले में भारत शीर्ष पर है। यहां 40 प्रतिशत के करीब लेनदेन डिजिटल तौर पर किए जाते हैं। डिजिटल भुगतान करने के लिए लोग सबसे ज्यादा यूपीआई का इस्तेमाल कर रहे हैं।
नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) के सीईओ दिलीप अस्बे ने कहा कि क्रेडिट ग्रोथ के साथ अगले 10 से 15 वर्षों में यूपीआई से होने वाले लेनदेन की संख्या 100 अरब पहुंचने की संभावना है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि हमारा फोकस यूपीआई और रुपे कार्ड को वैश्विक स्तर पर ले जाना है। इसके लिए विदेशों से भी सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है।
इस हफ्ते ‘ग्लोबल फिनटेक फेस्ट’ में मुंबई में बोलते हुए उन्होंने कहा कि विदेश में यूपीआई को ले जाना, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मर्चेट्स द्वारा यूपीआई क्यूआर कोड के जरिए भुगतान स्वीकार करना और क्रॉस बॉर्डर भुगतान के लिए यूपीआई को अन्य देशों के तेज भुगतान प्रणाली से जोड़ना हमारी शीर्ष प्राथमिकता है।