घर में पकाई जाने वाली शाकाहारी थाली की कीमत सितंबर में सालाना आधार पर 11 प्रतिशत बढ़ गई, जबकि मांसाहारी थाली 2 प्रतिशत सस्ती हुई है। शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।
शाकाहारी थाली की बढ़ी हुई लागत का कारण सब्जियों की कीमतों में हुई वृद्धि है, जो सामूहिक रूप से थाली की कुल कीमत का 37 प्रतिशत है। प्याज की कीमत में सालाना आधार पर 53 प्रतिशत, आलू की कीमत में 50 प्रतिशत और टमाटर की कीमत में 18 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स की रिपोर्ट के अनुसार, प्याज, आलू और टमाटर की कीमतें क्रमशः 53 प्रतिशत, 50 प्रतिशत और 18 प्रतिशत बढ़ी हैं। प्याज और आलू की कीमतों में इजाफा कम आवक के कारण हुआ है, जबकि टमाटर के उत्पादन पर भारी वर्षा का प्रभाव पड़ा है, जिसकी वजह से कीमतों में उछाल दर्ज किया गया है।
क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स के निदेशक-शोध, पुशन शर्मा ने बताया, “ब्रॉयलर की कीमत में कमी के कारण नॉन-वेज थाली की लागत में पिछले साल की तुलना में कमी दर्ज की गई है। हमें उम्मीद है कि खरीफ की आपूर्ति बाजार में आने के बाद प्याज की कीमतों में मामूली सुधार होगा। आलू की कीमतों में भी गिरावट आने की उम्मीद है, हालांकि कम आपूर्ति के कारण टमाटर की कीमतें ऊंची बनी रह सकती हैं।”
दालों की कीमत, जो कि शाकाहारी थाली की लागत का 9 प्रतिशत है, पिछले वर्ष उत्पादन में कमी के कारण 14 प्रतिशत बढ़ गई। दालों की कीमत बढ़ने के साथ इस वर्ष प्रारंभिक स्टॉक कम हो गया। स्टॉक में कमी की वजह से कीमतों में और तेजी आई।
रिपोर्ट के अनुसार, ईंधन की लागत में 11 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। पिछले साल सितंबर में दिल्ली में 14.2 किलोग्राम के एलपीजी सिलेंडर की कीमत 903 रुपये से घटकर इस साल मार्च में 803 रुपये हो गई। ईंधन की लागत में आई इस गिरावट की वजह से थाली की लागत में और वृद्धि रुक गई।
रिपोर्ट के अनुसार, नॉन-वेज थाली में ब्रॉयलर की कीमत में सालाना आधार पर 13 प्रतिशत की अनुमानित गिरावट आई है। यह नॉन-वेज थाली की कीमत का 50 प्रतिशत हिस्सा है।
थाली की औसत लागत की गणना उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम भारत में प्रचलित इनपुट कीमतों के आधार पर की जाती है।