भागलपुर : नाथनगर प्रखंड के निस्फ अम्बे पंचायत अंतर्गत एक सरकारी स्कूल का बेहद ही चौंकाने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वहीं इस वायरल वीडियो में कुछ स्कूली बच्चे ईंटों की ढुलाई करते हुए दिख रहे हैं यही नहीं हद तो तब हो गई जब कुछ बच्चे छत के खतरनाक छज्जे की भी सफाई कर रहे हैं। यह वायरल वीडियो मध्य विद्यालय गनौरा बाधरपुर का बताया जा रहा है हालांकि इस वायरल वीडियो की सत्यता की पुष्टि कात्यायन VOB नहीं कर रहा है।
इस संबंध में पूछे जाने पर भागलपुर के जिला शिक्षा पदाधिकारी राजकुमार शर्मा ने कहा कि मामले की जांच करवाएंगे आखिरकार मामला क्या है जबकि नाथनगर के प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ने भी वायरल वीडियो की जांच करने की बात कही है। वहीं अब सवाल यह उठता है कि यदि इस वायरल वीडियो में तनिक भी सच्चाई है तो स्कूली बच्चों से ईंट ढुलवाना कहां तक जायज है स्कूल के छत के खतरनाक छज्जे को साफ करते स्कूली बच्चों के साथ भगवान न करे अगर कोई अनहोनी हो जाए तो इसका जिम्मेदार कौन होगा।
वहीं अगर शिक्षकों के कथनानुशार बच्चों ने खुद की मर्जी से ईंट की ढुलाई की और छज्जे की सफाई की तो भला शिक्षकों ने उसे ऐसा करने से रोकने की जहमत तक क्यों नहीं उठाई विद्यालय के सारे शिक्षक क्या कर रहे थे कुछ ग्रामीणों ने तो यह भी बताया की विद्यालय के प्रधानाध्यापक मामूली गलती पर भी बच्चों को बेतुका सजा देते है। सरेराह बच्चों को उठक – बैठक तक करवाया जाता है। जिसका सीसीटीवी फुटेज भी एक ग्रामीण के द्वारा उपलब्ध करवाया गया है। वहीं ईंट ढोते बच्चों के साथ प्रधानाध्यापक भी दिख रहे हैं जो रोकने के बजाय बच्चों के हाथ में ईंट देते हुए बताए जा रहे हैं। ऐसे में मिशन चहक और एफएलएन यानी की बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान के अंतर्गत शिक्षकों को मिलने वाला प्रशिक्षण का भी इस वायरल वीडियो के आधार पर कोई फायदा होता हुआ नहीं दिख रहा है।
आपको बता दें की मिशन चहक एक गैर आवासीय प्रशिक्षण है जो अमूमन वर्ष में एक बार होता है और यह नवपर्वेशी बच्चों के लिए बेहद खास होता है| जबकि एफएलएन शिक्षकों का छह दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण है| लेकिन वायरल वीडियो में सरेराह बच्चों से उठक बैठक, ईंट ढुलाई और छत के खतरनाक छज्जे की सफाई करते यह वीडियो देखकर हर कोई हैरान है। वहीं दूसरी ओर अगर वायरल वीडियो में तनिक भी सच्चाई है तो शिक्षकों द्वारा इन सारे प्रशिक्षण का खुलेआम तौहीन नहीं तो और क्या है। बीते शुक्रवार यानी की 6 सितम्बर, 2024 को बिहार शिक्षा परियोजना परिषद के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी दिलीप कुमार ने प्रदेश के सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी और जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को एक पत्र लिखकर बच्चों के साथ भेदभाव और उन्हें शारीरिक दण्ड नहीं देने की हिदायत दी है। उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 17 में स्पष्ट उल्लेख है कि बच्चों को शारीरिक दण्ड देना निषिद्ध है। इस बाबत इससे पहले भी पत्रांक संख्या 6023 और दिनांक 11 अगस्त, 2023 को भी निर्देशित किया गया था। पत्र के माध्यम से उन्होंने राज्य कार्यालय को कार्रवाई के उपरांत अवगत कराने का भी निर्देश दिया है| अब यहां यह देखना दिलचस्प होगा कि शिक्षा विभाग के बड़े अधिकारी क्या अपने दावे के मुताबिक इस वायरल वीडियो की जांच कराएंगे या फिर पूरे मामले पर लीपापोती कर दी जाएगी।