आज देशभर में दशहरा (Dussehra) यानी विजयादशमी (Vijayadashami) का उत्सव मनाया जा रहा है। कहते हैं कि भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था। विजयादशमी को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक के रुप में माना जाता है। रावण एक पराक्रमी योद्धा, शक्तिशाली और बलशाली था। इतना ही नहीं तीनों लोकों में उसके जैसा कोई ज्ञानी नहीं था। वह महान पंडित और ज्योतिष भी था। रावण से बड़ा भक्त न तो उससे पहले कोई था, न उसके बाद कोई हुआ। उसे सभी देवताओं को आशीर्वाद प्राप्त था। वह परम शिव भक्त था। जिसने ‘शिव तांडव’ की रचना की थी। लेकिन इन्हीं सब उपलब्धियों से वो अहंकारी बना और यही उसके सर्वनाश का कारण भी। फिर भी इन सबसे उसका प्रभाव परे था।
जब धरती पर रावण का पाप बढ़कर अंतिम चरण में पहुंच गया तो भगवान विष्णु ने रामावतार के रुप में जन्म लेकर उसका विनाश किया। जब विद्वान रावण मरणासन्न की स्थिति में था, तब भगवान श्रीराम ने लक्ष्मण से कहा ‘राजनीति और शक्ति का महान पंडित इस संसार से जा रहा है। तुम उसके पास जाकर उससे जीवन की उन शिक्षाओं को ग्रहण करो जिन्हें किसी दूसरे से प्राप्त नहीं किया जा सकता।’ राम के कहने पर लक्ष्मण, मरणासन्न स्थिति में पड़े रावण के सिर के पास जाकर काफी समय तक खड़े रहे लेकिन रावण ने उनसे कुछ नहीं कहा।
इसके बाद जब लक्ष्मण ने राम के पास जाकर उन्हें सारी बात बताई तो राम ने उन्हें बताया कि यदि किसी से ज्ञान प्राप्त करना हो तो उसके सिर के पास नहीं बल्कि उसके चरणों के पास खड़ा होना चाहिए। राम की बात मानते हुए लक्ष्मण वापस रावण के पास गए और उसके पैरों के पास खड़े हुए तो महाज्ञानी लंकाधिपति रावण ने लक्ष्मण को 5 ऐसी बातें बताई जो आपको भी जीवन में सफलता के शिखर तक पहुंचा सकती है।
रावण ने लक्ष्मण को दिए थे सफलता ये मंत्र (Ravan Laxman Success Mantras)
- हमें अपने दुश्मन को कभी भी खुद से कमजोर नहीं समझना चाहिए। कई बार हम जिसे कमजोर समझते हैं वो अंत में हमसे ज्यादा शक्तिशाली साबित हो सकता है। जैसे रावण ने श्री राम और उनकी वानर सेना को अपनी शक्तियों के आगे छोटा समझा और वह हार गया।
- भले ही आप जीत रहे हों लेकिन आपको अपने दुश्मन द्वारा हमले के लिए हर समय तैयार रहना चाहिए क्योंकि आपका दुश्मन आपकी कमजोरी पर ही वार करेगा।
- हमें कभी भी अहंकार और अपने बल का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए। यह हमें मानसिक, सामाजिक, सांसारिक और यहां तक कि आर्थिक रुप से कमजोर कर देता है।
- हमें अपनी कमजोरी और रहस्य किसी को भी भूलकर भी नहीं बतानी चाहिए। जैसे रावण ने अपने भाई विभीषण को अपनी मृत्य का राज बताया था जो की रावण के जीवन की सबसे बड़ी गलती साबित हुई।
- हमें अपने शुभचिंतकों की बातें माननी चाहिए क्योंकि वे हमेशा आपका अच्छा ही चाहेंगे।
- हमें दुश्मन और दोस्त की पहचान होनी चाहिए। क्योंकि कई बार हम जिसे अपना दोस्त समझते हैं अंत में वही हमारा शत्रु साबित होता है और जिसे हम पराया समझते हैं वो दोस्त साबित होता है।
- हमें किसी पराई स्त्री पर कभी भी बुरी नजर नहीं डालनी चाहिए। क्योंकि पराई स्त्री बुरी नजर डालने वाले का नाश निश्चित है।
- अच्छे काम को हमेंशा सबसे पहले और जल्द से जल्द पूरा करने का प्रयास करना चाहिए।
- अपने साथ काम करने वालों के प्रति कभी भी कठोरता या शत्रुता नहीं रखनी चाहिए। क्योंकि वो कभी भी आपको हानि पंहुचा सकता है।