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‘विक्रम-बेताल’ ने दिलाई थी पहचान, कार्टूनिस्ट केसी शिवशकंर को ऐसे मिला था ‘चंदा मामा’ नाम

अगर आपने बच्चों की मशहूर पत्रिका ‘चंदामामा’ पढ़ी है, तो आपको विक्रम-बेताल भी याद होगा। इस पत्रिका में एक कार्टून था, जिसमें राजा विक्रम अपने कंधे पर बेताल को ले जाता है। पत्रिका ‘चंदामामा’ के लिए इस चित्र को बनाया था भारत के मशहूर कार्टूनिस्ट केसी शिवशंकर ने, जिन्हें नेशनल लेवल पर ‘चंदा मामा’ के नाम से पहचान मिली। उन्होंने अपने 60 साल के करियर के दौरान कई कार्टून बनाए।

29 सितंबर को भारत के प्रसिद्ध चित्रकार और कार्टूनिस्ट केसी शिव शंकर की पुण्यतिथि है। उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर आज हम आपको उनसे जुड़े कुछ अनसुने पहलुओं के बारे में बताते हैं।

मशहूर चित्रकार और कार्टूनिस्ट केसी शिव शंकर का जन्म 1927 को हुआ था। उनका बचपन चेन्नई में बीता, यही उनकी शुरुआती पढ़ाई हुई। हालांकि, पढ़ाई के दौरान ही उनका आर्ट की ओर झुकाव होने लगा। वह बचपन में अपनी कलाकारी को कागज पर उतराने लगे, इसे देख शिव शंकर के शिक्षकों ने भी उनकी कला की सराहना की। बाद में उन्होंने इसी आर्ट को रोजगार का जरिया बनाया और साल 1952 में वह नागी रेड्डी के संपर्क में आए, जिन्होंने पहली बार उन्हें चित्रकारी से जुड़ा काम दिया।

उन्हें पहचान दिलाई पत्रिका ‘चंदामामा’ ने, उन्होंने 60 के दशक के दौरान मशहूर पत्रिका ‘चंदामामा’ के लिए एक कार्टून बनाया, जिसमें राजा विक्रम और बेताल का चित्र शामिल था। उनके आर्ट ने देशभर में खूब वाहवाही बटोरी। उन्होंने अपनी कलाकारी से न सिर्फ लोगों का दिल जीता, बल्कि उन्हें नया नाम भी मिला। उन्हें देशभर में ‘चंदा मामा’ के नाम से जाना जाने लगा।

दरअसल, उस दौर में ‘चंदामामा’ पत्रिका का क्रेज बच्चों और युवाओं में काफी अधिक था। 1947 में इस पत्रिका की स्थापना दक्षिण भारत के मशहूर फिल्म निर्माता बी नागी रेड्डी ने की थी। इस पत्रिका में भारतीय लोक कथाओं, पौराणिक और ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित कहानियों को प्रकाशित किया जाता था।

विक्रम और बेताल की सफलता से उन्हें और भी काम मिला और उन्होंने कई और कार्टून्स बनाए। उन्होंने 60 से ज्यादा सालों तक कला के क्षेत्र में अपना योगदान दिया।

वह अपने आखिरी समय में भी पत्रिका ‘चंदामामा’ के लिए काम करते रहे। इस पत्रिका का साल 2012 में आखिरी बार प्रकाशन हुआ था। उनका 29 सितंबर, 2020 को निधन हो गया। उनके निधन के एक साल बाद 2021 में उन्हें मरणोपरांत ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया गया।


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Kumar Aditya

Anything which intefares with my social life is no. More than ten years experience in web news blogging.

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