काराकाट में शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ मतदान, 53.44 फीसदी हुई वोटिंग, पवन सिंह, उपेंद्र कुशवाहा और राजाराम कुशवाहा में त्रिकोणीय मुकाबला

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काराकाटः सातवें और अंतिम चरण के तहत आज काराकाट लोकसभा सीट पर शाम 6 बजे वोटिंग खत्म हो गयी. यहां कुल 53.44 फीसदी वोटिंग हुई. कड़ी धूप के बावजूद बड़ी संख्या में मतदाताओं ने अपना सांसद चुनने के लिए मतदान किया. शांतिपूर्ण और निष्पक्ष मतदान के लिए सभी केंद्रों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गये थे।

1960 मतदान केंद्र बनाए गयेः काराकाट लोकसभा सीट के अंतर्गत आनेवाले सभी 6 विधानसभा क्षेत्रों में 1960 मतदान केंद्र बनाए गये हैं. जिनमें ग्रामीण बूथ 1688 हैं और 272 शहरी बूथ हैं.सभी मतदान केंद्रों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम के साथ-साथ जरूरी दवाओं और एंबुलेंस की भी व्यवस्था की गयी है. मतदान केंद्रों पर गर्मी से बचाव के लिए शेड लगाए गये हैं और पीने के पानी का भी प्रबंध किया गया है।

मतदाताओं की कुल संख्याः 2024 के लोकसभा चुनाव में काराकाट लोकसभा सीट से अपना मनपसंद उम्मीदवार चुनने के लिए कुल 18 लाख 79 हजार 11 मतदाता अपना मत डाल सकते हैं.जिनमें पुरुष मतदाताओं की 9 लाख 78 हजार 687 है जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 9 लाख 254 है और थर्ड जेंडर के भी 70 मतदाता हैं।

सभी मतदान केंद्रों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजामः शांतिपूर्ण और निष्पक्ष मतदान सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन ने व्यापक इंतजाम किए हैं. इसके लिए बिहार पुलिस, पैरा मिलिट्री फोर्स और होमगार्ड के जवानों को तैनात किया गया है।

सभी 6 विधानसभा सीटों पर महागठबंधन का कब्जाः काराकाट लोकसभा क्षेत्र में कुल 6 विधानसभा सीट है. जिसमें तीन नोखा, डेहरी और काराकाट विधानसभा सीट रोहतास जिले में हैं जबकि गोह, ओबरा और नबीनगर विधानसभा सीट औरंगाबाद जिले में हैं. इन सभी 6 विधानसभा सीटों पर महागठबंधन का कब्जा है. नोखा, डेहरी, गोह, ओबरा और नबीनगर से आरजेडी के विधायक हैं जबकि काराकाट विधानसभा सीट पर सीपीआईएमएल का कब्जा है।

क्या बचेगा कुशवाहा का किला ?: काराकाट लोकसभा सीट को कुशवाहा का किला कहा जा सकता है, क्योंकि 2009 से हुए अभी तक तीन चुनावों में कुशवाहा जाति के प्रत्याशी के सिर पर जीत का सेहरा सजता आया है. 2009 में जहां NDA समर्थित जेडीयू के महाबली सिंह ने आरजेडी की कांति सिंह को हराया तो 2014 में NDA समर्थित आरएलएसपी के उपेंद्र कुशवाहा ने जेडीयू के महाबली सिंह को पटखनी दी. 2019 में फिर महाबली सिंह और उपेंद्र कुशवाहा आमने-सामने थे जिसमें बाजी मारी महाबली सिंह ने और इस सीट से तीसरी बार कुशवाहा जाति का परचम लहराया।

त्रिकोणीय मुकाबले में फंसे उपेंद्र कुशवाहाः इस सीट पर भोजपुरी पावर स्टार पवन सिंह की एंट्री के पहले कुशवाहा बनाम कुशवाहा की ही लड़ाई थी, लेकिन पवन सिंह के चुनाव लड़ने के कारण काराकाट के सारे सियासी समीकरण उलट-पलट गये हैं. चुनाव प्रचार के दौरान जिस तरह युवाओं का हुजूम पवन सिंह के समर्थन में उमड़ता दिखा, वो NDA के उपेंद्र कुशवाहा और महागठबंधन के राजा राम कुशवाहा के लिए बड़ी मुश्किलों का सबब बन गया है. अब देखना है कि पवन की आंधी चलती है या फिर कुशवाहा अपना किला बचाने में कामयाब हो पाते हैं।

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