सीतामढ़ी: जिस इलाके में कभी नक्सलियों के डर से लोग वोट देने नहीं जाते थे आज उस इलाके में मतदाताओं की लंबी कतार देखने को मिल रही है. पुरुष और महिला मतदाता अपने घरों से बाहर आकर मतदान कर रहे हैं. साथ ही दूसरे वोटर्स से भी मतदान करने की अपील कर रहे हैं. बलुआ और गीद्दा फुलवरिया इलाका नक्सलियों का गढ़ माना जाता है।
एक दशक पूर्व होता था रक्त रंजिश: करीब एक दर्शक पूर्व नक्सलियों का गढ़ माने जाने वाले सीतामढ़ी के रुन्नीसैदपुर प्रखंड स्थित बलुआ और गीद्दा फुलवरिया में बंपर वोटिंग की उम्मीद की जा रही है. नक्सलियों के द्वारा आए दिन किसी न किसी मामले को लेकर रक्त रंजिश किया जाता था और पुलिस और जिला प्रशासन भी नक्सलियों के आगे घुटने टेक देती थी।
नक्सल इलाकों में बंपर वोटिंग की उम्मीद: हालांकि समय बदला स्थिति बदली और सरकार के शक्ति के बाद यहां के लोग बेखौफ होकर अपने-अपने कामों को करते हैं. मतदान को लेकर उत्साहित पुरुष ही नहीं महिला भी लंबी कतारों में लगकर अपने मताधिकार का प्रयोग करती नजर आ रही हैं।
‘विकास के नाम पर वोट’: 80 वर्षीय मदन सहनी का कहना है कि “हम लोग विकास के नाम पर वोट कर रहे हैं. हमें सरकार ने 5 किलो चावल दिया है, सड़कें बनवाई है, नए-नए विद्यालय बनाए गए हैं और पंचायत में ही हाई स्कूल का निर्माण करवाया गया जिसके कारण हम लोग विकास के नाम पर मतदान कर रहे हैं.”
नक्सलियों के गढ़ में बदलाव: वहीं एक मतदाता का कहना है कि “इस सरकार में कोई विकास नहीं हुआ. सिर्फ सड़कें बनी और कोई काम नहीं हुआ. इसके कारण इसे हम लोग विकास नहीं कहते लेकिन समय बदलने के साथ-साथ माहौल भी बदला है. नक्सलियों का गढ़ माने जाने वाले इलाकों में भी महिला और पुरुष मतदाताओं में उत्साह देखा जा रहा है.”