25 दिसंबर को क्रिसमस का त्योहार मनाया जाता है. अगर आपसे पूछा जाए कि इस पर्व को क्यों मनाया जाता है, तो आप झट से कहेंगे कि इस दिन प्रभु यीशू का जन्म हुआ था. लेकिन अगर हम आपसे कहें कि यीशू के पैदाइश की तारीख 25 दिसंबर नहीं है, तो क्या आप यकीन करेंगे? हो सकता है आपको इस बात की जानकारी न हो, लेकिन ये सच है कि ईसाह मसीह के जन्म की तारीख के बारे में किसी को भी सटीक जानकारी नहीं है. इसको लेकर तमाम तरह के तर्क दिए जाते हैं. वॉशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बाइबिल में इस बारे में कोई स्पष्ट रूप से किसी भी तारीख या दिन का जिक्र नहीं किया गया है.
लंबे समय से यीशू के जन्म को लेकर उठ रहे सवाल
उनके जन्म की तिथि को लेकर लंबे समय से सवाल उठ रहे हैं. तमाम लोगों का मानना है कि वो गर्मियों में पैदा हुए थे. उनके जन्म को लेकर तमाम शोध भी हो चुके हैं, लेकिन उनके जन्म की तिथि को लेकर कोई ठोस प्रमाण नहीं मिल सका है. इसकी एक वजह ये भी है कि ग्रेगोरियन कैलेंडर, जो कि आधुनिक क्रिसमस समारोह का आधार है, वो उस समय मौजूद ही नहीं था. ये भी कहा जाता है कि पहले ईसाई धर्म में क्रिसमस का त्योहार मनाया ही नहीं जाता था, उनका सबसे बड़ा त्योहार ईस्टर हुआ करता था. लेकिन इन सबके बीच एक सवाल जेहन में आता है कि आखिर क्यों यीशू के जन्मदिन के लिए 25 दिसंबर की ही तारीख को चुना गया? आइए आपको बताते हैं-
जानिए क्यों 25 दिसंबर को मनाया जाता है क्रिसमस
25 दिसंबर को बड़ा दिन कहा जाता है, इसका कारण है कि यूरोप में कुछ लोग जो ईसाई समुदाय से नहीं थे वे सूर्य के उत्तरायण के मौके को त्योहार के रूप में 25 दिसंबर को मनाया करते थे. इस दिन के बाद से दिन धीरे-धीरे बड़ा होना शुरू हो जाता है. यूरोप में इस दिन को गैर ईसाई लोग सूर्यदेव के जन्मदिन के तौर पर मनाया करते थे.
वही इसी दिन रोमन संस्कृति के शनि के देवता का उत्सव सैटर्नालिया भी मनाया जाता है. इसलिए ईसाई धर्म के लोगों ने भी यीशू के जन्मदिन के तौर पर 25 दिसंबर को चुना. ये भी कहा जाता है कि गैर ईसाई लोगों के सामने ईसाई धर्म का एक बड़ा त्योहार खड़ा किया जाए, ये सोचकर ईसा मसीह के जन्मदिन को 25 दिसंबर को मनाने का निर्णय लिया गया.
ये भी है 25 दिसंबर को चुने जाने की वजह
शुरुआत में क्रिसमस जनवरी के पहले सप्ताह में मनाया जाता था, लेकिन बाद में 25 दिसंबर को मनाया जाने लगा. दरअसल यीशू के जन्म को लेकर तमाम लोगों का ये भी मानना है कि वे ईस्टर के दिन अपनी मां के गर्भ में आए थे. गर्भ में आने का दिन कुछ लोग 25 मार्च को मानते हैं तो वहीं ग्रीक कैलेंडर का इस्तेमाल करने वाले इसे 6 अप्रैल मानते हैं.
इसके आधार पर नौ महीने 25 दिसंबर और 6 जनवरी को पूरे होते हैं. क्रिसमस की तारीख का निर्णय करते समय भी ये दोनों ही तारीखों पर चर्चा की गई. दो शताब्दियों से भी अधिक समय तक सहमति नहीं हो सकी. आज कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट परंपराओं में ईसाई अगर 25 दिसंबर को क्रिसमस मनाते हैं, लेकिन रूस, मिस्र, यूनान आदि देशों के क्रिश्चियन 6 या 7 जनवरी को क्रिसमस मनाते हैं.