गंगा नदी का जलस्तर भी तेजी से बढ़ने लगा था लेकिन अब ज्यादातर जगहों पर गंगा या तो स्थिर है या फिर बढ़ने के अभी संकेत नहीं हैं. केंद्रीय जल आयोग के अनुसार गंगा नदी कहलगांव में गंगा नदी खतरे के निशान से 60 सेंटीमीटर नीचे है. वहीं साहिबगंज में गंगा नदी 67 सेंटीमीटर खतरे के निशान से नीचे है।
खतरे के निशान से कितना नीचे गंगा?: कम बारिश के कारण बिहार में गंगा नदी के जलस्तर में कुछ स्थानों में कमी आई है. वहीं, कुछ स्थानों पर मामूली वृद्धि भी हो रही है. पटना के दीघा घाट पर गंगा का जलस्तर 47.96 मीटर है, जबकि गांधी घाट पर 47.35 मीटर है. वहीं, हाथीदह में 40.45, मुंगेर में 36.80, भागलपुर में 31.91 और फरक्का में 21.48 मीटर तक पानी पहुंचा हुआ है. हालांकि सभी जगहों पर गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से 2 से 3 मीटर नीचे है।
बिहार की नदियों का जलस्तर घटा: गंडक नदी गोपालगंज के डुमरिया घाट में 58 सेंटीमीटर खतरे के निशान से ऊपर है. बागमती नदी मुजफ्फरपुर जिले के बेनीबाद में 12 सेमी खतरे के निशान से ऊपर है. कोसी नदी खगड़िया के बलतारा में खतरे के निशान से 86 सेंटीमीटर ऊपर है, जबकि परमान नदी अररिया में खतरे के निशान से 56 सेंटीमीटर ऊपर है।
साधारण से माध्यम बारिश होने की संभावना: मौसम विभाग के अनुसार कोसी, महानंदा, बागमती, अधवारा और गंडक नदियों के जल ग्रहण क्षेत्र में साधारण से माध्यम बारिश होने की संभावना है. वैसे तो मौसम विभाग ने इस बार बिहार में औसत से अधिक बारिश की भविष्यवाणी की है, लेकिन फिलहाल जुलाई के प्रथम सप्ताह में सक्रियता के बाद मानसून सुस्त पड़ गया है. जिस वजह से नदियों का जलस्तर घटने लगा है।
कई इलाकों में बाढ़ से परेशानी: हालांकि बिहार की जिन नदियों का जलस्तर अभी भी बढ़ा हुआ है, वहां बाढ़ की स्थिति है. वहीं, लोगों को डर नेपाल में होने वाली भारी बारिश से ही लगा रहता है लेकिन फिलहाल वहां से भी राहत की खबर है. मौसम विभाग की तरफ से भी एक सप्ताह तक मानसून के सुस्त रहने की बात नहीं जा रही है।