हम नहीं चाहते कि सुप्रीम कोर्ट ‘तारीख-पे-तारीख’ अदालत बने, आखिर क्यों भड़क गए CJI? जानें क्या कहा

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देश के मुख्य न्यायधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को वकीलों की ओर से नए मामलों में स्थगन के अनुरोध पर नाराजगी जताई है। चंद्रचूड़ ने वकीलों से स्थगन का अनुरोध न करने की अपील की और ये तक कह दिया कि वह सुप्रीम कोर्ट को ‘तारीख-पे-तारीख’ अदालत नहीं बनने देना चाहते। सीजेआई चंद्रचूड़ ने वकीलों से कहा है कि जब तक बहुत जरूरी न हो तब तक कृपया स्थगन का अनुरोध नहीं करें।

दो महीने में हजारों स्थगन का अनुरोध

मुख्य न्यायधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने वकीलों द्वारा स्थगन के अनुरोध का मुद्दा उठाते हुए कहा कि पिछले दो महीने में ही वकीलों ने 3,688 मामलों में स्थगन का अनुरोध किया है। सीजेआई की पीठ में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी हैं। उन्होंने कहा कि वह नहीं चाहते कि यह अदालत ‘तारीख-पे-तारीख’ अदालत बन जाए। बता दें कि ‘तारीख-पे-तारीख’ अभिनेता सनी देओल की फिल्म ‘दामिनी’ में एक डॉयलॉग है। इसके माध्यम से फिल्म के एक दृश्य में अदालतों में स्थगन की संस्कृति पर रोष प्रकट किया गया था।

सीजेआई ने अफसोस जताया

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अब वकीलों की संस्थाओं की मदद से सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर होने के बाद नए मामले को सूचीबद्ध करने में समय का अंतर काफी कम हो गया है। हालांकि, सीजेआई ने इस बात पर अफसोस जताया कि पीठ के समक्ष मामले सूचीबद्ध होने के बाद वकील स्थगन का अनुरोध करते हैं।

खराब संदेश

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि स्थगन का अनुरोध बाहरी दुनिया के लिए बहुत खराब संकेत देता है। उन्होंने कहा कि मामला दायर होने की अवधि से इसके सूचीबद्ध होने का समय घट रहा है। यह सब हम एससीबीए के सहयोग के बिना हासिल नहीं कर सकते थे। सीजेआई ने कहा कि स्थगन मामले की शीघ्रतापूर्वक सुनवाई के उद्देश्य को प्रभावित करता है।

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