उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में पुलिस हिरासत में युवक की मौत के मामला बढ़ता जा रहा है। मृतक रामचंद्र के परिजनों ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए शव का अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया। जमकर बवाल हुआ और ग्रामीणों ने प्रदर्शन किया। इस बीच पुलिस अधिकारियों ने मृतक का अंतिम संस्कार करवाने की कोशिश की तो परिजनों से नोकझोंक हो गई। इस दौरान वहां मौजूद सीओ ने उन्हें हड़का दिया। पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है।
इंसाफ की मांग कर रहे परिजनों से सीओ ने कहा, ”ना मझगईं थाना सस्पेंड होगा, ना निघासन थाना सस्पेंड होगा, ना कोई मुआवजा देंगे, जितने दिन रखना है रख लो डेड बॉडी को घर पर, चार दिन-पांच दिन.. जीतने दिन मन हो।”
दरअसल, लखीमपुर के निघासन में पुलिस हिरासत में युवक की मौत का मामला सामने आया है। आरोप है कि जंगल में लकड़ी बीनने गए युवक को पुलिस ने हिरासत में लेकर जमकर पिटाई कर दी। पुलिस ने आनन-फानन उसे लेकर निघासन सरकारी अस्पताल भर्ती कराया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। युवक की मौत से घबराई मझगईं पुलिस उसे छोड़ कर फरार हो गई।
कोतवाली मझगईं निवासी रामचंद (36) वर्षीय पुत्र लालता प्रसाद घर से जलौनी लकड़ी लेने के लिए सुबह निकला था। वह शाम तक नहीं आया तो पत्नी पूनम देवी ने उसकी तलाश कराई। तलाश में जानकारी मिली कि उसे मझगईं पुलिस पकड़ कर ले गई है। मझगईं जाकर परिजन ने उससे मुलाकात का प्रयास किया तो पुलिस ने मिलने नहीं दिया। काफी समय बाद सूचना मिली की उसका शव सरकारी अस्पताल में पड़ा है।
परिजन ने अस्पताल में शव की पहचान की। मृतक के भाई दिनेश ने निघासन पुलिस को बताया कि उसका भाई रोज की तरह सोमवार को जंगल में लकड़ी बीनने गया था। पुलिस उसे शराब कारोबारी बताकर ले गई। भाई की पुलिस ने पिटाई कर हत्या कर दी, शव अस्पताल में फेंक पुलिस वाले फरार हो गए।
उधर, सीएचसी के बाहर बिलखते परिवारजन के अलावा मौजूद लोग पुलिस की क्रूर चेहरे से भयावह हो उठे। परिवारजन के दर्द पर मरहम लगाने की बजाये महिला पुलिस ने मृतक की पत्नी पूनम और बहन कांती को घसीटकर शव से अलग कर दिया। आरोप है कि एक महिला पुलिसकर्मी ने पूनम को थप्पड़ मार मार। इसके बाद शव को छीनकर जबरन एंबुलेंस में डाल दिया। परिवारजन सीएचसी की दहलीज पर खड़े होकर चीखते रहे।
मृतक रामचंद्र के छोटे भाई दिनेश ने बताया कि भाई मुनेश, सुरेश मोहन के साथ जलौनी लकड़ी लेने जंगल गया था। निघासन और मझगई पुलिस की संयुक्त टीम ने वहां रामचंद्र को पकड़ा। आरोप है कि कुछ सिपाहियों ने दोनों हाथ पकड़ लिए और दरोगा पिटाई करने लगा। रामचंद्र ने दुहाई देकर पुलिस से रहम की भीख तक मांगी। कहता रहा कि साहब मुझे मत मारिए मेरा कसूर क्या है, लेकिन पुलिस की टीम ने एक ना सुनी। निर्दयता के साथ उसकी पिटाई करने लगी और वहां से बुरी तरह पीटते हुए लेकर गई। जब रामचंद्र बेजान हो गया, तो निघासन और मझगई पुलिसकर्मी लावारिश हालात में निघासन सीएचसी में शव छोड़कर भाग निकले।
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