प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय के नए कैंपस का शुभारंभ किया. उस दौरान अपने संबोधन में पीएम ने कहा कि उनका यह दौरा देश के विकास के लिए एक शुभ संकेत है. हालांकि विपक्ष का कहना है कि प्रधानमंत्री के नालंदा दौरे से बिहार के हिस्से कुछ नहीं आया है. आरजेडी प्रवक्ता शक्ति यादव के मुताबिक हर बार की तरह इस बार भी पीएम ने बिहार को निराश किया है।
बिहार को मोदी सरकार से उम्मीदें: दरअसल, बिहार देश के सबसे पिछड़े राज्यों में से एक है. बिहार की तरफ से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार विशेष राज्य का दर्जा, विशेष मदद, पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय देने की मांग करते रहे हैं. इसके अलावे भी कई मांगे हैं, जिससे बिहार को विकसित राज्यों की श्रेणी में लाया जा सकता है. नीतीश कुमार जब महागठबंधन में थे तो उन्होंने केंद्र सरकार को बिहार की मांगों को लेकर पत्र भी लिखा था और यह भी कहा था कि यदि केंद्रीय योजनाओं की राशि में ही बिहार की हिस्सेदारी घटा दी जाए तो बिहार को 30000 करोड़ की बचत होगी. अब नीतीश कुमार एनडीए में वापस लौट आए हैं और केंद्र सरकार बनाने में किंग मेकर की भूमिका में है।
बिहार के विकास के लिए विशेष मदद की जरूरत: एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर डॉ. विद्यार्थी विकास का कहना है कि बिहार को जब तक विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलेगा, तब तक बिहार को विकसित राज्यों की श्रेणी में लाना संभव नहीं है. इसके पीछे की वजह है केंद्र सरकार की वह नीति, जिसके तहत अधिकांश केंद्रीय योजनाओं में 50:50 और 60:40 के रेशियो से केंद्र राशि दे रहा है. बिहार जैसे राज्यों के लिए यह एक बड़ी चुनौती है. इसके कारण बिहार अपनी योजनाएं अलग से नहीं चला सकता है।
नौकरी-रोजगार का वादा कैसे होगा पूरा?: बिहार सरकार ने 10 लाख नौकरी और 10 लाख रोजगार देने का जो वादा किया है, उस पर काम कर रही है. उसके लिए भी बड़ी राशि की जरूरत होगी. ऐसे में बिना केंद्र की मदद के बिहार सरकार के लिए वादा को पूरा करना आसान नहीं है. केंद्र सरकार भी देश के विकास की बात करती है तो बिना बिहार के विकास का देश का विकास कैसे संभव है. इसलिए बिहार को बिना विलंब किए मदद मिलनी चाहिए।
क्या कहते हैं जानकार?: राजनीतिक विशेषज्ञ प्रिय रजन भारती का कहना है कि बिहार को अपनी मांगों को लेकर अभी और इंतजार करना पड़ेगा. केंद्र सरकार अभी हाल ही में बनी है और गति नहीं पकड़ी है. बिहार में विधानसभा का चुनाव भी 2025 में होना है और केंद्र सरकार बनाने में भी इस बार बिहार की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. ऐसे में बिहार की मांगों को बहुत दिनों तक टाला नहीं जा सकता है. बिहार के समीकरण को भी साधना है तो बिहार के हित को लेकर केंद्र जरूर फैसला लेगा, क्योंकि केंद्र सरकार को बिहार से ऊर्जा मिलता रहा है और इस बार भी मिला है।
आरजेडी का पीएम पर जोरदार हमला: वहीं, पीएम के नालंदा दौरे के बाद राष्ट्रीय जनता दल को हमला करने का मौका मिल गया है. मुख्य प्रवक्ता शक्ति यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नालंदा आए थे. नीतीश कुमार भी वहां मौजूद थे लेकिन पीएम ने बिहार को कुछ नहीं दिया. आरजेडी प्रवक्ता ने कहा कि बिहार आए थे तो विशेष राज्य का दर्जा दे देते. पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने की घोषणा ही कर देते लेकिन यहां तो उन्होंने केवल फोटो सेशन करवाया है।
“देना ही था तो दे देते बिहार को विशेष राज्य का दर्जा. पटना यूनिवर्सिटी को सेंट्ल यूनिवर्सिटी का ही दर्जा दे देते. बगल में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी मौजूद थे लेकिन केवल फीता काटने आए थे पीएम. नालंदा यूनिवर्सिटी क्या मोदी जी का किया हुआ है? जानकारी है कि यूपीए सरकार में ये सब किया हुआ है. आए थे चेहरा चमकाने, खाली फोटो सेशन के लिए.”- शक्ति यादव, मुख्य प्रवक्ता, आरजेडी
क्या हैं बिहार की मांगें?: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार केंद्र सरकार से अपनी मांग रख रहे हैं. हालांकि अभी तक कोई भी मांग पूरी नहीं हुई है. बिहार की मांगों में विशेष राज्य का दर्जा, विशेष आर्थिक मदद की मांग, केंद्रीय योजनाओं में केंद्र और राज्य की हिस्सेदारी 90:10 करने की मांग, पटना विश्वविद्यालय को सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा और बिजली का दर पूरे देश में एक करने की मांग भी शामिल है।
बिहार में एनडीए के 30 सांसद: केंद्र में लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी है लेकिन इस बार सरकार में बिहार की बड़ी भूमिका है. बिहार के 30 सांसदों ने सरकार बनाने में अपना योगदान दिया है. बीजेपी के 12 सांसद हैं. वहीं सहयोगी दलों में जेडीयू के 12, एलजेपीआर के 5 और हम के एक सांसद हैं. बिहार के विकास को लेकर कई मांगे लंबे समय से है लेकिन बिहार की मांगों को अब तक नजर अंदाज किया जाता रहा है. हालांकि जेडीयू नेताओं की मानें तो बिहार को उसका हक जरूर मिलेगा।