साल 2020 में शुरू हुआ किसान आंदोलन को कौन भूल सकता है। किसानों ने दिल्ली की तमाम सीमाओं को कई महीनों तक घेरकर रखा था। सीमाओं पर किसानों ने कई महीनों तक विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान लगभग 700 किसानों की मौत का भी दावा किया गया था। उस दौरान किसान केंद्र सरकार के द्वारा पास किए गए तीन कृषि कानूनों की वापसी के लिए आंदोलनरत थे। सरकार ने कानून वापस लिए और यह आंदोलन खत्म हुआ।
अब एक बार फिर से किसानों ने दिल्ली कूच का ऐलान किया है। किसानों ने 13 फरवरी को दिल्ली चलने का ऐलान किया है। इस ऐलान के बाद दिल्ली समेत आसपास की पुलिस सतर्क हो गई है। किसानों को रोकने के लिए कई इंतजाम किए गए हैं। सड़कों पर कीलें बिछाई गई हैं। सीमेंट के बैरिकेड्स लगवाये गए हैं। नहरों को गहरा खोद दिया गया है। हरियाणा के कई शहरों में धारा-144 लागू कर दी गई है। इंटरनेट बन कर दिया गया है। पुलिस गांव-गांव में जाकर इन आंदोलन में ना शामिल होने को कह रही है।
पिछली बार तो किसान तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली पहुंचे थे, लेकिन इस बार भी उनकी कई मांगें हैं। किसानों की इस बार मुख्यतः दस मांगें हैं, जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कानून बनाना मुख्य है। इसके अलावा ब ही किसानों की कई अन्य मांगे हैं जोकि निम्नलिखित हैं-
दिल्ली पुलिस ने किसानों के ऐलान के बाद गाज़ीपुर बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और सिंघु बॉर्डर पर धारा 144 लगा दी है। इसके साथ ही सीमाओं पर बैरिकेड्स लगाए गए हैं। पुलिस इन सीमाओं से गुजरने वाले वाहनों की जांच भी कर रही है। इसके साथ ही हरियाणा और पंजाब बॉर्डर पर वहां की पुलिस ने सतर्कता बढ़ाई है। किसानों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए सीमेंट के बैरिकेड्स लगा दिए हैं और नहरों में पानी छोड़ दिया गया है। इसके साथ ही सड़कों पर कीलें भी बिछा दी गई हैं।