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परिवारवाद आखिर क्या है? क्या होता है इसका मतलब? प्रधानमंत्री मोदी ने बताया

ByKumar Aditya

फरवरी 6, 2024
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को संसद के निचले सदन यानी लोकसभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर सदन को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने विपक्ष पर खूब निशाना भी साधा। पीएम मोदी ने कहा कि नई ससद में नई परंपरा बहुत ही प्रभावशाली है। लोकतंत्र की गरिमा कई गुना बढ़ी है। सेंगोल संसदीय प्रक्रिया का नेतृत्व कर रहा है। इस दौारन उन्होंने कहा कि विपक्ष ने जो संकल्प किया है, मैं उसकी सराहना करता हूं। इससे मेरा और देश का विश्वास पक्का हो गया। इन्होंने लंबे समय तक वहां (विपक्ष) रहने का संकल्प लिया है। अब कई दशक तक जैसे यहां बैठे थे, वैसे ही कई दशक तक वहां बैठका आपका संकल्प जनता जनार्दन पूरा करेगी।

परिवारवाद पर क्या बोले पीएम मोदी

परिवारवाद पर विपक्ष पर निशाना साधते हुए पीएम मोदी ने कहा कि परिवारवाद का खामियाजा जितना देश ने उठाया है। खुद कांग्रेस ने भी उसका खामियाजा उठाया है। परिवारवाद की तो सेवा करनी पड़ती है। इस दौरान मल्लिकार्जुन खरगे और सदन से उठकर चले गए। उन्होंने कहा कि गुलाम नबी आजाद पार्टी से शिफ्ट हो गए। ये सब परिवारवाद की भेंट चढ़ गए। एक ही प्रोडक्ट बार-बार लॉन्च करने के चक्कर में अपनी ही दुकान को ताला लगाने की नौबत आ गई है। उन्होंने आगे हा कि देश परिवारवाद से त्रस्त है। विपक्ष में एक ही परिवार की पार्टी है। हमें देखिए, ना राजनाथ जी की राजनीतिक पार्टी है और ना ही अमित शाह की, जहां एक परिवार की पार्टी ही सर्वेसर्वा हो। यह लोकतंत्र के लिए उचित नहीं है।

क्या होता है परिवारवाद?

पीएम मोदी ने कहा कि इतने साल हो गए विपक्ष ने नेता नहीं बदला। परिवारवाद का खामियाजा देश ने भुगता है। विपक्ष पुरानी ढपली, पुराना राग अलाप रही है। देश को स्वस्थ, अच्छे विपक्ष की जरूरत है। उन्होंने परिवारवाद को लेकर कहा कि हम किस परिवारवाद की बात करते हैं? यदि किसी परिवार में एक से अधिक लोग जनसमर्थन से अपने बलबूते पर राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश करते हैं तो उसे हम परिवारवाद नहीं कहते हैं। हम परिवारवाद उसे कहते हैं जो पार्टी परिवार चलाता है। पार्टी के सारे निर्णय परिवार के लोग करते हैं वो परिवारवाद है। पीएम ने कहा कि हम चाहते हैं कि एक ही परिवार के 10 लोग राजनीति में आए। नवजवान राजनीति में आए। लेकिन परिवारवाद के जरिए नहीं। यह चिंता का विषय है।