हर महिला के लिए प्रेग्नेंसी एक बेहद महत्वपूर्ण समय होता है। इस दौरान उनके जीवन में कई सारे बदलाव होते हैं जिसका असर उनके शरीर पर भी दिखाई देता है। हालांकि इस दौरान उन्हें कई समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। प्लेसेंटा प्रीविया भी इन्हीं समस्याओं में से एक है जो कई बार गंभीर रूप ले लेती है। आइए जानते हैं इसके बारे में सबकुछ.
Pregnancy Tips
प्रेग्नेंसी एक महिला के जीवन का सबसे अहम और सुखद पल होता है। अपने अंदर अपने जिंदगी को महसूस करना खुद में एक अगल अहसास है। हालांकि, इस दौरान महिलाओं के शरीर में कई तरह के बदलाव भी आते हैं, जिसकी वजह से उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। प्लेसेंटा प्रीविया भी इन्हीं समस्याओं में से एक है, जो एक ऐसी स्थिति है जब प्लेसेंटा महिला के सर्विक्स को ढंक देती है.
क्या है प्लेसेंटा?
प्लेसेंटा प्रेग्नेंसी के दौरान यूटरस में बनने वाला एक अंग है, जिसका काम है गर्भनाल के रास्ते गर्भ में बच्चे को खाना और ऑक्सीजन उपलब्ध कराना। यह बच्चे के ब्लड से विषाक्त पदार्थ को बाहर भी निकालते हैं। यह यूटरस के ऊपर स्थित होते हैं। जैसे-जैसे आपकी प्रेग्नेंसी का समय बीतता है, गर्भ में बच्चा विकसित होता है, यूटरस का साइज बढ़ कर फैलते जाता है। ये प्लेसेंटा को सर्विक्स से दूर करते जाता है।
क्या है प्लेसेंटा प्रीविया?
जब प्लेसेंटा यूटरस में नीचे की तरफ रह जाए या फिर सर्विक्स को आधा या पूरी तरह से ढक दे, तो ये प्लेसेंटा प्रीविया कहलाती है।
प्लेसेंटा प्रीविया कब होता है?
प्रेग्नेंसी के शुरुआती स्टेज में अगर प्लेसेंटा सर्विक्स के पास है, तो संभव है कि आने वाले दिनों में बच्चे के विकसित होने के साथ-साथ ये दोनों एक-दूसरे से दूर हो जाएं, लेकिन लेट स्टेज में भी अगर प्लेसेंटा सर्विक्स के पास रह जाए तो ये एक गंभीर स्तिथि हो सकती है। इसे प्लेसेंटा प्रीविया कहते हैं। इससे ब्लीडिंग होने का खतरा बढ़ जाता है। लेट स्टेज में प्लेसेंटा प्रीविया होने से सिजेरियन करना पड़ सकता है।
प्लेसेंटा प्रीविया कितने प्रकार के होते हैं?
प्लेसेंटा द्वारा सर्विक्स को ढकने के आधार पर ये 4 प्रकार के होते हैं-
ग्रेड 1- माइनर प्लेसेंटा प्रीविया
ग्रेड 2- मार्जिनल प्लेसेंटा प्रीविया
ग्रेड 3- पार्शियल प्लेसेंटा प्रीविया
ग्रेड 4- कंप्लीट प्लेसेंटा प्रीविया यही सबसे गंभीर ग्रेड माना जाता है।
कैसे पता चलेगा कि मुझे प्लेसेंटा प्रीविया है?
आमतौर पर इसके कोई मुख्य लक्षण नहीं होते हैं। 18 से 22 हफ्ते में होने वाले अल्ट्रासाउंड टेस्ट में इसका पता चलता है। इसके बाद डॉक्टर आपका नियमित रूप से अल्ट्रासाउंड कर के प्लेसेंटा के स्थान की जांच करते रहेंगे। आपको बेड रेस्ट की सलाह दी जाती है।
प्लेसेंटा प्रीविया के खतरे क्या हैं?
90% मामलों में तीसरे ट्राइमेस्टर में अधिक ब्लीडिंग होने की संभावना डिलीवरी के बाद ब्लीडिंग का खतरा मां और शिशु के जान को खतरा प्रीमेच्योर डिलीवरी.