Bihar

सूबे के सभी जिला-अनुमंडल-प्रखंडों में ‘मॉडल स्कूल’ बनाने पर शिक्षा विभाग की क्या है प्लानिंग…?

बिहार के हर जिले में एक मॉडल स्कूल बनेगा. इसके बाद अनुमंडल और प्रखंड में उत्कृष्ट स्कूल बनाए जाएंगेशिक्षा विभाग इस पर काम कर रहा है. विभाग के अपर मुख्य सचिव एस.सिद्धार्थ ने यह जानकारी दी है. शिक्षा की बात-हर शनिवार के 8 वें एपिसोड में गया के एक शिक्षक हर्ष कुमार ने यह सलाह दी है.

मॉडल स्कूल पर शिक्षा विभाग की क्या है प्लानिंग 

हर्ष कुमार का शिक्षा विभाग के एसीएस से सवाल था कि हर प्रखंड में एक या दो मॉडल स्कूल होना चाहिए। जहां बच्चों का नामांकन प्रतियोगिता के आधार पर हो. शिक्षकों को ही प्रतियोगिता के आधार पर वहां पदस्थापित किया जाना चाहिए. इस पर एस. सिद्धार्थ ने जवाब दिया कि सरकार की पॉलिसी सबको एक समान शिक्षा देने की है. हम लोग कुछ स्कूल को मॉडल बनाएंगे, ताकि लोग उसे देखकर नकल करें. पहले हम लोग जिला में शुरू करेंगे. जिला में एक स्कूल का चयन करेंगे, फिर अनुमंडल इसके बाद प्रखंड में शुरू करेंगे. बाकी स्कूलों के लिए वह स्कूल मॉडल बने, हम लोग इस पर काम कर रहे हैं. शुरुआती दौर में हर जिले में हम एक मॉडल स्कूल बनाएंगे, उत्कृष्ट बनाएंगे. उसके बाद अनुमंडल में बनाएंगे फिर प्रखंड में बनेंगे .इस पर कार्य चल रहा है.

जब तक समाज जागरूक नहीं होगा,सुधार नहीं हो सकता

प्रधानाध्यापक राकेश कुमार के इस सवाल पर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एस. सिद्धार्थ ने कहा कि विद्यालय में शिक्षा देने का दायित्व शिक्षकों का तो है ही, समाज की भी रिस्पांसिबिलिटी है. जब तक समाज जागरूक नहीं होगाा, तब तक शिक्षा व्यवस्था में सुधार नहीं हो सकता. शिक्षा में सुधार में अभिभावकों का महत्वपूर्ण योगदान है. पंचायती राज प्रतिनिधि हैं उनकी भी बड़ी भूमिका है . आंगनबाड़ी सेविकाओं के साथ-साथ पंचायत स्तर के जितने सरकारी तंत्र हैं वह विद्यालय पर नजर रखें. शिक्षक पढ़ा रहे हैं कि नहीं, मिड डे मील हो रहा है या नहीं, इस पर ध्यान रखें. विद्यालय के सभी कार्यों में बढ़ कर के योगदान दें. तभी सुधार हो सकता है.

शिक्षा विभाग के एसीएस ने आगे कहा कि अगर लोग समझेंगे यह कार्य सिर्फ शिक्षकों का है, तब तो सुधार करना बहुत मुश्किल है. हमारा विचार है कि सभी स्टेक होल्डर्स को विद्यालय पर नजर रखनी चाहिए. सामाजिक दबाव से ही शिक्षा में सुधार होगा . उन्होंने आगे कहा कि आज मैं देख रहा था. सुबह-सुबह एक चाय दूकान पर चाय पी रहा था. चाय दुकान पर हमने एक बच्चे को देखा, तब हमने पूछा कि आप विद्यालय नहीं जाते हैं ? उसने जवाब दिया कि पहले निजी विद्यालय में जाते थे, लेकिन खर्चा लगता था.तब हमने पढ़ाई छोड़ दी. पिताजी झारखंड में मजदूरी करते हैं, मुझे चाय के दुकान पर भेज दिया है . ऐसे में समाज का दायित्व है कि गांव का बच्चा पढ़ रहा या नहीं, यह देखे. गांव एक यूनिट होता है. सबको एक दूसरे के बच्चों के बारे में जानकारी होती है. ऐसे में समाज का दायित्व है की हर बच्चा स्कूल में जाए.


Discover more from Voice Of Bihar

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Submit your Opinion

Discover more from Voice Of Bihar

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading

मत्स्य पालन और जलीय कृषि में ड्रोन प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग और प्रदर्शन पर कार्यशाला आयोजित बिहार में बाढ़ राहत के लिए भारतीय वायु सेना ने संभाली कमान बिहार के बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण करने रवाना हुए सीएम नीतीश पति की तारीफ सुन हसी नही रोक पाई पत्नी भागलपुर में खुला पटना का फैमस चिका लिट्टी