राहुल गांधी के मोदी सरनेम मामले में सुप्रीम कोर्ट में क्या दी गईं दलीलें, जिससे सजा पर लगी रोक

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मोदी सरनेम मामले में मिली सजा के खिलाफ राहुल गांधी द्वारा दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस याचिका में कांग्रेस नेता द्वारा गुजरात हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें जिला कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले को सही बताया गया था और उन्हें मिली सजा पर रोक लगा देने से इंकार कर दिया गया था। राहुल गांधी की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए तो वहीं उनके खिलाफ महेश जेठमलानी ने जिरह की।

निचली अदालत ने बताया था गंभीर अपराध

राहुल गांधी के वकील ने कोर्ट में कहा कि उनके क्लाइंट के खिलाफ जितने भी मामले दर्ज हुए हैं वो सब बीजेपी कार्यकर्ताओं ने करवाए हैं। सिंघवी ने दलील देते हुए कहा कि शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी का असली सरनेम मोदी था ही नहीं। उन्होंने अपना सरनेम बदल कर मोदी किया है और यह बात पूर्णेश मोदी ख़ुद कह चुके हैं। निचली अदालत के जज ने इसे एक गंभीर अपराध बताया। रेप, मर्डर या किडनेपिंग का केस तो नहीं है जो अधिकतम 2 साल की सज़ा दे दी गई।

सभी केस बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने कराये- सिंघवी 

अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि मेरे क्लाइंट को 8 साल के लिए चुप करवा दिया जाएगा। वो कोई क्रिमिनल नहीं है। बीजेपी कार्यकार्याओं ने उनके ख़िलाफ़ कई केस फ़ाइल किए लेकिन किसी में भी कोई सज़ा नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि यह मामला राजनीतिक तौर पर बदला लेने का है।

उनका मक़सद मोदी सरनेम के हर व्यक्ति को बेइज्जत करना- महेश जेठमलानी 

वहीं अभिषेक मनु सिंघवी के दलीलें रखने के बाद अब पूर्णेश मोदी की तरफ़ से महेश जेठमलानी अपनी दलीलें रखीं। उन्होंने कोर्ट के सामने राहुल गांधी के ‘मोदी’ वाले बयान को कोर्ट में पढ़ कर सुना रहे हैं। साथ ही गवाहों की जानकारी कोर्ट को दे रहे हैं। उन्होंने कोर्ट में दलील दी कि राहुल गांधी के बयान से समस्त मोदी समाज का अपमान हुआ है। उनका मक़सद मोदी सरनेम के हर व्यक्ति को बेइज्जत करना था क्योंकि पीएम का सरनेम मोदी है। अत: उनकी सजा को बरक़रार रखा जाए।

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