बिहार में जमीन सर्वे का काम तेजी से चल रहा है, लेकिन सर्वे के खिलाफ लोगों में बड़ी नाराजगी देखी जा रही है। ऐसे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बड़ा फैसला लिया है। नीतीश कुमार ने जमीन सर्वे की डेडलाइन को जुलाई 2025 तक बढ़ा दिया है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को कहा है कि जुलाई 2025 तक इस काम को पूरा करें। राज्य सरकार ने 10 हजार कर्मचारियों को इस काम में लगा रखा है।
100 साल पहले हुआ था जमीन का सर्वे
बिहार में जमीन का सर्वे आखिरी बार साल 1900 में हुआ था, जब भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था। राज्य क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के मुताबिक बिहार में मर्डर केस से जुड़े 60 फीसदी मामले जमीन विवाद से जुड़े होते हैं।
हालांकि जेडीयू नेताओं का मानना है कि शराबबंदी और जातीय-आर्थिक सर्वे की तरह जमीन सर्वे भी 2025 के चुनावों में फायदा दे सकता है। पार्टी का मानना है कि एक बार जमीन सर्वे पूरा होने के बाद बिहार में जमीन की कीमतों में जबरदस्त इजाफा होगा।
जमीन सर्वे से बीजेपी को मुश्किलें
हालांकि नीतीश कुमार की सहयोगी पार्टी बीजेपी को जमीन सर्वे के चलते मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। बिहार की जनता जहां दस्तावेजों के वेरिफिकेशन में व्यस्त है। वहीं बीजेपी के सदस्यता अभियान में अभी तक केवल पांच लाख लोग ही जुड़े हैं, जबकि असम में पार्टी ने 22 लाख लोगों को सदस्यता दिलाई है।
जमीन सर्वे की डेडलाइन मतलब?
बिहार में जमीन सर्वे के चलते जनता परेशान है। नीतीश कुमार ने जुलाई की डेडलाइन तय की है। ऐसे में कहा जा रहा है कि बिहार में चुनाव तय समय पर ही होंगे। बता दें कि बीते दिनों जेडीयू के पार्टी कार्यालय में हुई बैठक में नीतीश कुमार ने 2010 के विधानसभा चुनाव का परिणाम 2025 में दोहराने की जिम्मेदारी नेताओं को दी है।पार्टी ने एनडीए के साथ मिलकर 225 सीटों का टारगेट तय किया है।
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