कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी (29 अक्टूबर) को इस बार धनतेरस (Dhanteras Date 2024) का पर्व मनाया जाएगा। धनतेरस के दिन बर्तन, सोने, चांदी के जेवर, चांदी के गणेश, लक्ष्मी की मूर्ति, खिलौने, झाड़ू आदि खरीदने की परंपरा रही है।
इस दिन यमराज के नाम का दीप भी जलाया जाता है। महिलाएं अकाल मृत्यु से बचने के लिए वैद्यिक देवता यमराज की पूजा-अर्चना करती हैं। मालूम हो कि आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के जन्मदाता धन्वंतरी वेद्य कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को समुद्र से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए धनतेरस को धन्वंतरी जयंती भी कहा जाता हैं।
इस दिन रात में यमराज के निमित्त दीपक घर के बाहर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके जलाया जाता है। इस दीप को यमदीप कहा जाता है। इस बार धनतेरस 29 अक्टूबर मंगलवार को है। मान्यता है कि इस दिन सोने, चांदी, बर्तन की खरीदारी करने से अधिक लाभ मिलता है। साथ ही धनतेरस के दिन प्रदोष काल में गौशाला, कुआं, मंदिर आदि जगहों पर दीप जलाने से घर में सुख शांति बनी रहती है।
ज्योतिषाचार्य ने बताया धनतेरस का शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य सह पंडित दिनकर झा ने बताया कि इस बार धनतेरस पर खरीदारी का स्थिर कुंभ लग्न 01:33 बजे से 03:04 बजे के मध्य शुभ समय है। सर्वोत्तम स्थिर बृष लग्न मुहूर्त शाम 06:11 बजे से 08:08 बजे संध्या तक है। सर्वोत्तम सिंह लग्न रात्रि 12:39 बजे से रात 02:53 बजे के बीच खरीदारी करना शुभ है।
धनतेरस के दिन जलाया जाता है यमदीप
वैद्य हकीम इस दिन आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के जन्मदाता धनवंतरी भगवान का पूजन कर उनकी जयंती मनाते हैं। इसी दिन धनवंतरी वेद्य समुद्र से अमृत कलश लेकर धरती पर प्रकट हुए थे। इसीलिए धन्वंतरी जयंती को धनतेरस भी कहा जाता है। धनतेरस की देर संध्या में यमराज के निमित्त दीपक घर के बाहर दक्षिण दिशा की ओर मुख कर जलाया जाता है। इस दीप को यमदीप कहा जाता है।
ज्योतिषाचार्य सह पंडित दिनकर झा ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि जिन परिवारों में धनतेरस के दिन यमदीप जलाया जाता है वहां अकाल मौत नहीं होती है। उन्होंने बताया कि काली पूजा 31 अक्टूबर गुरुवार को मनायी जाएगी। इस दिन अमावस्या संध्या 03:32 बजे से शुरू हो रही है, जो शुक्रवार एक नवंबर के दिन संध्या 05:12 बजे तक रहेगी। दीपावली का त्योहार भी 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा।