पटना: बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ (S. Siddharth) ने बुधवार को समस्तीपुर जिले के उत्क्रमित मध्य विद्यालय लगुनियां सूर्यकंठ के हेड मास्टर सौरभ कुमार और वहां के छात्रों से वीडियो कॉल पर बातचीत की। उन्होंने 8वीं कक्षा की छात्राओं, सलोनी कुमारी, संध्या कुमारी और लक्ष्मी कुमारी से वीडियो कॉल पर बातचीत की। इस दौरान बच्चों ने स्कूल ड्रेस में स्वेटर को शामिल करने की मांग रखी।
एसीएस को बच्चियों ने लिखी थी चिट्ठी
दरअसल, ये बातचीत डॉ. एस. सिद्धार्थ के खास कार्यक्रम ‘चलो शिक्षा की बात करते हैं’ के तहत हुई। विद्यालय के बच्चों ने इस कार्यक्रम के लिए उन्हें एक मेल भेजा था। बच्चियों ने चिट्ठी में लिखा था, “आदरणीय सिद्धार्थ सर, बिहार की शिक्षा व्यवस्था में आमूल चूल परिवर्तन के लिए आपके स्तर से किया जा रहे प्रयासों के लिए हम अपने विद्यालय के बाल संसद के सभी सदस्यों, मीना छात्राओं, सभी बच्चों एवं शिक्षक शिक्षिका की ओर से आपको हृदय से धन्यवाद देते हैं। हर शनिवार को आपको सुनना हमें काफी अच्छा लगता है। हम आपका ध्यान इस ओर दिलाना चाहते हैं कि विद्यालय में बच्चों को पोशाक में आने की दृष्टि से हमारा विद्यालय पिछले 3 वर्षों से काफी अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। हमारे विद्यालय में 95 प्रतिशत से अधिक और कभी-कभी तो 100% बच्चे पोशाक में आते हैं। हमारे हेड सर जी की ओर से केवल ऐसे बच्चों को रंगीन पोशाक में आने की छूट है, जिनका उस दिन जन्मदिन होता है। परंतु जाड़े के दिनों में एक समस्या आती है। हमारे विद्यालय में पढ़ने वाले अधिकांश बच्चे अत्यंत ही गरीब परिवार के बच्चे हैं। विद्यालय में अधिकांश बच्चे पासी, कुंभकार, लोहार एवं चर्मकार समाज से आते हैं। हम बच्चों के पास आमतौर पर अच्छे ऊनी कपड़ों की कमी होती है।”
बच्चियों ने चिट्ठी में आगे लिखा, “यही कारण है कि जाड़े के दिनों में बच्चे अपने-अपने हिसाब से अलग-अलग रंगों के स्वेटर, जैकेट, शॉल, चादर आदि में विद्यालय आते हैं। कई ऐसे भी बच्चे हैं जो बिना स्वेटर के केवल इनर में अथवा स्कूल ड्रेस के अंदर घर के अन्य साधारण कपड़े पहनकर ही स्कूल आते हैं। हालांकि हर वर्ष जाड़े में हमारे हेड सर जी एवं अन्य सभी गुरुजन ऐसे बच्चों के लिए अपने अपने घर से पुराने स्वेटर लाकर बांटते हैं। ऐसी स्थिति में चेतना सत्र के दौरान अथवा वर्ग कक्ष में बच्चों के पोशाक में काफी भिन्नता दिखती है। हम बच्चे ऐसा महसूस करते हैं कि यह समस्या शायद राज्य के अधिकांश विद्यालयों में होगी। हमारा अनुरोध है कि यदि संभव हो सके तो सरकारी विद्यालय के हम बच्चों के लिए भी निजी विद्यालय के बच्चों की तरह एक समान रंग के स्वेटर का प्रावधान करने की कृपा की जाए ताकि जाड़े के दिनों में भी विद्यालय में बच्चों के पोशाक में समरूपता रह सके। अर्थात विद्यालय के ड्रेस कोड में स्वेटर को भी शामिल किया जाय। यदि सचमुच ऐसा हो सकेगा तो उत्क्रमित मध्य विद्यालय लगुनियाँ सूर्यकंठ के हम बच्चे सदा आपके आभारी रहेंगे। हमारे विद्यालय के बाल संसद के बच्चों का यह भी सुझाव है कि यदि भविष्य में यह नियम लागू हो सके, तो इसके लिए नेवी ब्लू रंग का फुल स्वेटर सबसे अच्छा रहेगा।”