इसको देखने आसपास के जिलो सहित अन्य राज्यों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं. प्रत्येक वर्ष विभिन्न थीमों पर बनाये जाने वाला आकर्षक और भव्य पूजा पंडाल मुंगेर जिला ही नहीं बल्कि बिहार को विशेष ख्याति दिलाता रहा है.
मुंगेर में दुबई का बुर्ज खलीफा: मुंगेर के कल्याणपुर में बीते 360 वर्षों से बड़ी दुर्गा देवी की प्रतिमा की पूजा की जा रही है. पिछले 10 वर्षों से होमियोपैथी के क्षेत्र में दुनियाभर में अपनी एक अलग पहचान बनाने वाले डॉ. नीतीश दुबे और यूथ क्लब के सदस्यों द्वारा भव्य पंडाल और झांकी के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते रहे हैं. इस बार कल्याणपुर में दुर्गा पूजा पर कैलाश मानसरोवर पर्वत,12 ज्योतिर्लिंग का दिव्य स्वरूप और दुबई के बुर्ज खलीफा की झलक लोगों के अकर्षण का केंद्र रहेगा.
बिहार की पहचान है मुंगेर का ये पंडाल: कोलकाता (बंगाल),मधुपुर,गिरिडीह (झारखंड) के अनेक कारीगर कैलाश मानसरोवर,12 ज्योतिर्लिंग,बुर्ज खलीफा,दुबई एक्वेरियम के स्वरूप में दिखने वाले भव्य और दिव्य पंडाल निर्माण से जुड़े कारीगर इसे जीवंत और सजीव रूप देने के लिए दिन रात एक किए हुए हैं. मंदिर समिति के सदस्य प्रशांत ने बताया की बुर्ज खलीफा पंडाल की ऊंचाई 150 फीट है.
“इस बार प्राचीन मंदिरों की झलक भी लोग दुर्गा पूजा के दौरान देख सकेंगे. मंदिर प्रवेश करते समय गली में देश के विभिन्न मंदिरों के प्रतिरूप के आधार पर गेट बनाए गए हैं. पंडाल के निर्माण में लकड़ी,प्लाय,बांस और लेदर जो लोहे की तरह दिखेगा इसका इस्तेमाल किया जा रहा है. 250 एसआरपी लाइट लगाए जाएंगे जो काफी दूर से यानि मुंगेर से ही इसकी चमक और लाइटिंग दिखेगी.“- प्रशांत, मंदिर समिति के सदस्य, यूथ क्लब कल्याणपुर
बनाए गए शिवजी के 11 रूप : दुबई के बुर्ज खलीफा का स्वरूप में दिखने वाले पंडाल निर्माण से जुड़े कारीगर गिरिडीह,मधुपुर के हरमुट और लोकमान हैं. साथ ही कैलाश मानसरोवर पर्वत 150 फीट चौड़ा,50 फीट गहरा और 100 फीट ऊंचा होगा. जिसमें 5 हजार बांस लगाए जा रहे हैं. भव्य और दिव्य कैलाश मानसरोवर पर्वत पर शिवजी के 11 रूप दिखेंगे.
लेजर लाइट से होगा हनुमान चालीस का पाठ: वहीं पूजा समिति के सदस्यों में राजेश मिश्रा,विकास दुबे,टीपू दुबे,शशिरंजन दुबे,सागर दुबे,अंशु दुबे सहित अन्य ने बताया कि हर साल की भांति इस बार भी दुर्गापूजा पर बनाये गए भव्य पंडाल में एलईडी लाइट लगाया गया है. इससे पूरा कल्याणपुर गांव जगमग होगा. वहीं लेजर लाइट के माध्यम से हनुमान चालीसा भी लोग पढ़ सकेंगे.
“पहली बार जब मां दुर्गा देवी के प्रतिमा का निर्माण किया गया था तो कोलकाता से मिट्टी मंगाई गई थी. मूर्ति निर्माण में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भी काफी सहयोग किया था. मान्यता है कि बड़ी दुर्गा महारानी से भक्तों द्वारा मांगी गई हर मनोकामना पूर्ण होती है. यहां की झांकियों एवं सजावट को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं.”- नीतीश दुबे, होमियोपैथ डॉक्टर
सप्तमी को खुल जाएंगे मां के कपाट: 12 ज्योतिर्लिंग का भव्य स्वरूप देखने को लेकर लोग काफी उत्साहित हैं. मुख्य सड़क पर लाइट का बना रहेगा. इस पंडाल निर्माण में लगभग 2 करोड़ रुपए की लागत का अनुमान लगाया जा रहा है. सप्तमी की पूजा को यह पंडाल पूरी तरह बन कर तैयार हो जाएगा.