Aghori: अघोरी! नाम सुनते ही सभी के मन में एक ऐसी तस्वीर सामने आती है, जिससे सोच कर ही डर लग जाता है। लोग अघोरी का मतलब समझते हैं जिसकी लंबी-लंबी बाल, जटाएं और शरीर में राख लिपटा होता है। इसके साथ ही गले में मुंड की माला धारण करते हो। कई लोग तो अघोरी नाम सुनकर ही उनके मन में भय पैदा हो जाती है। अघोरी माथे पर चंदन का लेप और उसके ऊपर तिलक लगाते हैं। लोग अघोरी के बारे में मन में ऐसा विचार बना लेते हैं, जिसे सोच कर डर लगने लगता है। लेकिन बता दें कि वास्तव में अघोरी नाम का अर्थ एक सरल व्यक्ति हैं, जो किसी के साथ भेदभाव नहीं करता है। अघोरी अक्सर श्मशान के सन्नाटे में जाकर तंत्र-मंत्र की सिद्धियां करते रहते हैं। तो आइए इस खबर में अघोरी के बारे में विस्तार से जानते हैं।
अघोरी का परिचय
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अघोरी भगवान शिव के अघोर पंथ का प्रणेता माना गया है। ऐसा मान्यता है कि भगवान शिव ने ही अघोर पंथ की शुरुआत की थी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अघोर शास्त्र के गुरु भगवान दत्तात्रेय को माना जाता है। कहते हैं अघोरी में भगवान विष्णु, ब्रह्मा और शिव तीनों का अंश होता है।
अघोरी कब और कैसे करते हैं साधना
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अघोरी श्मशान घाट में 3 तरह से साधना करते हुए पाए जाते हैं। पहली साधना को श्मशान साधना कहते हैं, दूसरी को शिव साधना और तीसरी को शव साधना करते हैं। अघोरी मुख्य रूप से अपनी साधनाएं कामाख्या पीठ के श्मशान, तारापीठ के श्मशान, त्रंबकेश्वर और उज्जैन के चक्रतीर्थ के श्मशान में करते हैं। कहा जाता है कि अघोरी साधना करते समय शव के ऊपर पैर रखते हैं, जिसे शिव साधना कहते हैं। वहीं साधना करते समय मांस और मदिरा प्रसाद के रूप में चढ़ाई जाती है। श्मशान साधना में अघोरी मुर्दे स्थान पर शव पीठ की पूजा करते हैं और प्रसाद के रूप में मांस-मदिरा अर्पित करते हैं।
अघोरी का स्वभाव
कहा जाता है कि अघोरी का स्वभाव बड़ा ही रूखा होता है। लेकिन मान्यता है कि अघोरी जनकल्याण की भावना निहित के लिए हमेशा साधना करते हैं। कहा जाता है कि जब अघोरी प्रसन्न हो जाते हैं, तो बड़े ही शुभ फल देते हैं। यह जिस जातक पर प्रसन्न हो जाते हैं, उन्हें अपनी तांत्रिक क्रियाओं की शक्ति से उसकी सारी मनोकामना पूर्ण कर देते हैं।