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कौन थे भारतीय पूर्व कर्नल अनिल वैभव काले, जिनकी मौत पर UN ने मांगी माफी ?

ByRajkumar Raju

मई 15, 2024
retired colonel vaibhav anil large

इजरायल-हमास युद्ध के बीच गाजा के राफा शहर में एक भारतीय पूर्व कर्नल की मौत की खबर ने सबको चौंका दिया है। संयुक्त राष्ट्र के लिए काम करने वाले रिटायर्ड कर्नल अनिल वैभव काले की मौत पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भारत से माफी मांगते हुए संवेदना व्यक्त की है। कर्नल काले की वीरगाथा को जानकर हर भारतीय गर्व महसूस करेगा। आइए, उनके बारे में विस्तार से जानते हैं।

कर्नल अनिल वैभव काले: परिचय

कर्नल अनिल वैभव काले की उम्र 46 साल थी। उन्होंने 2022 में भारतीय सेना से समय से पहले सेवानिवृत्ति ली थी। हाल ही में उन्हें संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा और संरक्षा विभाग (UNDSS) में सुरक्षा समन्वय अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया था। कर्नल काले का जन्म प्रतापगढ़ में हुआ था और वे अपनी सेवाओं के दौरान 11 जम्मू-कश्मीर राइफल्स में कार्यरत थे।

गाजा में शहीद

कर्नल काले की मौत गाजा के राफा शहर में हुई, जब वे संयुक्त राष्ट्र के वाहन में यूरोपियन अस्पताल जा रहे थे। सात अक्टूबर को इजरायल-हमास संघर्ष शुरू होने के बाद यह पहली बार था जब संयुक्त राष्ट्र के किसी अंतरराष्ट्रीय कर्मी की मौत हुई।

भारतीय सेना में योगदान

कर्नल काले ने 1998 में भारतीय सेना में शामिल होकर 11 जम्मू-कश्मीर राइफल्स की कमान संभाली थी। वे खुफिया और आतंकवाद विरोधी अभियानों का हिस्सा भी रहे। पठानकोट एयरबेस पर 2016 में हुए आतंकवादी हमले को रोकने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही थी।

शिक्षा और प्रारंभिक जीवन

अनिल काले का जन्म नागपुर, महाराष्ट्र में हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा सोमलवार उच्च माध्यमिक विद्यालय से की थी। इसके बाद उन्होंने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी, दिल्ली से बिहेवियरल साइंस और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून में ग्रेजुएशन किया। उन्होंने आईएमएम लखनऊ और इंदौर समेत अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों से भी शिक्षा प्राप्त की थी।

परिवार

कर्नल काले अपने पीछे पत्नी अमृता और दो बच्चों को छोड़ गए हैं। उनके भाई विशाल काले भारतीय वायुसेना में ग्रुप कैप्टन हैं, जबकि उनके चचेरे भाई अमेय काले भी सेना में कर्नल हैं। रिटायरमेंट के बाद कर्नल काले अपने परिवार के साथ पुणे में रहने लगे थे।

अंतिम संस्कार

कर्नल काले का पार्थिव शरीर मिस्त्र के रास्ते भारत लाया जाएगा और पुणे में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। उनके निधन पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने गहरा शोक व्यक्त किया और भारत से माफी मांगी।

नायक की कहानी

कर्नल अनिल वैभव काले की वीरता और सेवा को जानकर हर भारतीय गर्व महसूस करेगा। उनकी सेवाएं और बलिदान हमेशा याद किए जाएंगे। वे न केवल भारतीय सेना के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा हैं।