मध्य प्रदेश में 17 नवंबर को विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया सोमवार को समाप्त हो गई। अब नामांकन पत्रों की जांच हो रही है। उम्मीदवारों की पहली जीत यही होगी कि उनका नामांकन रद्द नहीं हो पाए। मध्य प्रदेश में सोमवार को अंतिम दिन 2489 उम्मीदवारों ने नामांकन पत्र भरे। इस तरह कुल नामांकन भरने वाले उम्मीदवारों की संख्या 3832 हो गई है। नामांकन पत्र वापस लेने की अंतिम तिथि 2 नवंबर है। मध्य प्रदेश प्रदेश की सभी 230 सीटों पर एक ही चरण में मतदान की प्रक्रिया संपन्न होगी। नतीजे 3 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे।
4359 नामांकन पत्र जमा किए गए
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन ने बताया कि मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के लिए 21 अक्टूबर से शुरू हुए नामांकन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि 30 अक्टूबर थी। अंतिम दिन प्रदेश के सभी 230 विधानसभा क्षेत्रों में 2489 अभ्यर्थियों की ओर से 2811 नॉमिनेशन लेटर जमा किए गए हैं। 21 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक कुल 3832अभ्यर्थियों की ओर से 4359 नामांकन पत्र जमा किए गए हैं।
पिछली बार 12% नामांकन हुए थे रद्द
पिछली बार 2018 के चुनाव में 3948 उम्मीदवारों ने नामांकन भरा था, जिसमें 480 यानी 12 प्रतिशत के नामांकन रद्द होने के कारण चुनाव नहीं लड़ पाए थे। इसके पहले के चुनावों में नामांकन रद्द होने के प्रतिशत और ज्यादा था। वर्ष 2013 में 17.50 प्रतिशत, 2008 में 18 प्रतिशत और 2003 में 18 प्रतिशत आवेदन निरस्त हो गए थे। इस मामले में पुरुषों की संख्या महिलाओं के लगभग बराबर है।
नामांकन रद्द होने की क्या है वजह?
नामांकन रद्द होने की बड़ी वजह नामांकन फार्म में सभी कॉलम नहीं भरना है। आवेदन रद्द होने के डर से कई प्रत्याशी वकीलों के जरिए अपना आवेदन भरवाते हैं। बड़े दलों के उम्मीदवार इसी वजह दो से तीन प्रति में आवेदन भरते हैं, जिससे किसी तरह का जोखिम नहीं रहे। शपथ पत्र में सभी जानकारी नहीं देने की वजह से भी नामांकन रद्द हो जाते हैं। एक वजह यह भी होती है कि कुछ उम्मीदवार चुनाव लड़ना ही नहीं चाहते, लेकिन विरोधियों के डराने के लिए नामांकन भरते हैं, जिससे उनकी मान-मनौव्वल हो।