बजट में नीतीश की तरह शिंदे को भाव क्यों नहीं मिला, NDA में महाराष्ट्र CM का टाइम पूरा? ये है आंकड़ों का गणित

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मोदी 3.0 के पहले बजट में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बिहार और आंध्र प्रदेश का पूरा ध्यान रखा। जाहिर है कि मोदी 3.0 को चलाने के लिए नीतीश कुमार और चंद्रबाबू की जरूरत किसी से भी ज्यादा है। लेकिन क्या नरेंद्र मोदी और बीजेपी को एनडीए के किसी और सहयोगी की जरूरत नहीं है?

बजट के ऐलान के बाद महाराष्ट्र में विपक्षी नेताओं ने महाराष्ट्र की उपेक्षा का आरोप लगाया है। महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री हैं और बीजेपी के साथ साझेदारी में सरकार चल रही है। जाहिर है विपक्षियों के हमले से एकनाथ शिंदे असहज हैं, फिर महाराष्ट्र में आगामी दिनों में विधानसभा के चुनाव भी होंगे, तो फिर बीजेपी ने सीएम शिंदे को नीतीश और चंद्रबाबू नायडू की तरह भाव क्यों नहीं दिया।

महाराष्ट्र में विपक्ष ने साधा निशाना

महाराष्ट्र कांग्रेस प्रेसिडेंट नाना पटोले ने कहा कि ‘बिहार और आंध्र प्रदेश को अच्छा खासा फंड मिला है। ताकि बीजेपी की कुर्सी बची रहे। लेकिन महाराष्ट्र जोकि देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। उसे इग्नोर किया गया है। आंध्र और बिहार को मिली तरजीह ने दिखाया है कि एनडीए में दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों का प्रभाव है। सीएम एकनाथ शिंदे और अजीत पवार भी एनडीए का हिस्सा हैं। लेकिन महाराष्ट्र को कुछ ठोस नहीं मिला है। इससे पता चला है कि सीएम शिंदे और अजीत पवार का एनडीए में कोई प्रभाव नहीं है।’

एनसीपी (शरद पवार) की नेता सुप्रियो सुले ने कहा कि वित्तमंत्री ने महाराष्ट्र का एक बार नाम तक नहीं लिया। फंड को तो भूल ही जाइए। शिवसेना यूबीटी के नेता उद्धव ठाकरे ने भी महाराष्ट्र के साथ भेदभाव का मामला उठाया।

NDA में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी शिंदे सेना

लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद अगर एनडीए के सहयोगियों के आंकड़ों को देखें तो एकनाथ शिंदे की पार्टी एनडीए की तीसरी सबसे बड़ी सहयोगी पार्टी है। बीजेपी के पास 240 सांसद हैं। टीडीपी के पास 16 सांसद हैं। जेडीयू के पास 12 और एकनाथ शिंदे के पास 7 सांसद हैं। चिराग पासवान के पास 5 सांसद हैं। इसके बाद अन्य पार्टियों की बारी आती है, जिनके पास एक या दो सांसद हैं। केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी अपनी पार्टी के एक मात्र सांसद हैं।

एनडीए में भारी टीडीपी, नीतीश और चिराग

अगर टीडीपी, चिराग, मांझी और जेडीयू की सीटों को जोड़े तो ये संख्या 34 होती है। बीजेपी के 240 सांसदों को मिलाकर कुल आंकड़ा 274 का हो जाता है। साफ है कि बीजेपी को इन्हीं पार्टियों की चिंता है। इन चार पार्टियों के सांसदों को एनडीए के कुल आंकड़े 293 से घटा दें तो यह आंकड़ा 260 के नीचे चला जाता है। बहुमत के लिए 272 सांसद चाहिए। इससे साफ है कि एकनाथ शिंदे के मुकाबले बिहार के सहयोगियों की जरूरत ज्यादा है। मतलब बीजेपी के लिए एकनाथ शिंदे से ज्यादा जरूरी चंद्रबाबू नायडू, नीतीश, चिराग और मांझी हैं।

महाराष्ट्र में सीटों पर घमासान

आगामी दिनों में महाराष्ट्र में विधानसभा के चुनाव होंगे। बीजेपी और एकनाथ शिंदे का एकनाथ चुनाव लड़ना तय है। लेकिन एकनाथ शिंदे 100 सीटों की मांग कर रहे हैं। उन्होंने तैयारियों को तेज करते हुए 110 प्रभारियों की नियुक्ति कर दी है। साफ है कि बीजेपी के साथ मोल-भाव में एकनाथ शिंदे पीछे नहीं हटेंगे। वहीं बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व को अजीत पवार का भी ध्यान रखना है। अगर शिंदे अपनी मांग पर अड़े रहे तो बीजेपी को मुश्किल होनी तय है।

आंध्र और बिहार को क्या मिला

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में 3 नए एक्सप्रेसवे दिए हैं। इनके निर्माण पर 26 हजार करोड़ खर्च किए जाएंगे। तीन एक्सप्रेसवे में पटना-पूर्णिया, बक्सर-भागलपुर और वैशाली-बोधगया एक्सप्रेसवे शामिल हैं। इसके अलावा बक्सर में गंगा नदी पर दो लेन का पुल भी आवंटित किया गया है। भागलपुर में पावर प्लांट के लिए 21 हजार करोड़ का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही सिंचाई के लिए 11,500 करोड़ दिया गया है। पर्यटन के मामले में गया स्थित विष्णुपद मंदिर और बोधगया में महाबोधि मंदिर को तीर्थस्थल के तौर पर विकसित किया जाएगा।

वित्तमंत्री ने आंध्र प्रदेश को राजधानी अमरावती के लिए 15 हजार करोड़ दिया है। विशाखापत्तनम-चेन्नई औद्योगिक गलियारे में कोप्पार्थी क्षेत्र और हैदराबाद-बेंगलुरु औद्योगिक गलियारे में ओरवाकल क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के लिए आवंटन किया गया है। इसके साथ ही प्राकृतिक संपदाओं और सांस्कृतिक परंपराओं से समृद्ध राज्यों बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और आंध्र के लिए पूर्वोदय योजना की घोषणा की गई है।

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