बिहार में राजद के नेता और पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने दावा किया कि राज्य में ‘इंडिया’ गठबंधन को कम से कम 34 सीटें मिलेंगी. मगर उनका यह दावा फुस्स होता दिख रहा है. बिहार की राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले नीतीश कुमार ने उनके दावे की हवा निकाल दी.
बिहार में NDA के सहयोगी दलों ने 31 सीटों पर बढ़त बना ली है. जबकि राजद को 4 और कांग्रेस को 3 सीटों पर बढ़त मिली है. इनमें से जद (यू) को 13, बीजेपी को 12, हिंदुस्तान अवाम मोर्चा (सेकुलर) 1 सीट और चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी 5 सीटों पर आगे है.
बीजेपी को रुझानों में बहुमत नहीं मिलने की हालत में इंडिया ब्लॉक के नेताओं ने सीएम नीतीश कुमार के दरवाजे पर दस्तक देना शुरू कर दिया है. बताया गया कि शरद पवार ने नीतीश कुमार से फोन पर बात की और उनको डिप्टी पीएम पद की पेशकश की. मगर बाद में उन्होंने कहा कि ऐसी उनकी कोई बात नीतीश कुमार से नहीं हुई है.
इन नतीजों के आने के बाद से तेजस्वी यादव की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठने लगे हैं. इस बार के लोकसभा चुनावों में देश के अन्य हिस्सों में विपक्षी खेमे के बेहतर प्रदर्शन के बावजूद बीजेपी बिहार में कोई बड़ा असर नहीं छोड़ पाई है. इससे राजद की रणनीति कटघरे में है.
पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) ने जीत का परचम लहराया, वहीं बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस का गठबंधन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले एनडीए के खिलाफ लड़ाई में पिछड़ गया. ताजा रुझानों के अनुसार, विपक्षी गठबंधन केवल 7 सीटों पर आगे चल रहा है.
राजद की उम्मीद थी कि विपक्षी खेमा बिहार में कम से कम 20-25 सीटें जीतेगा, जैसा कि इसके नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने दावा किया था. यह दावा धराशायी होती दिख रहा है. बिहार की 40 संसदीय सीटों में से एनडीए के 39 सीटों की तुलना में सत्तारूढ़ भाजपा-जद (यू) गठबंधन लगभग 31 सीटों पर आगे चल रहा है.