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करवा चौथ व्रत में क्यों जरूरी होता है मिट्टी के करवा? जानें इसका खास महत्व

BySumit ZaaDav

अक्टूबर 28, 2023
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करवा चौथ का त्योहार सुहागिनों के लिए खास माना जाता है। इसके लिए कुछ ही दिन बाकी है। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को रखा जाने वाला ये व्रत सुहागिनों के लिए बेहद खास होता है। इस साल ये व्रत 1 नवंबर बुधवार को रखा जाएगा। यह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और पूजा-पाठ करती हैं। इस दिन रात्रि में चांद की पूजा करने का भी महत्व है। महिलाएं चांद की पूजा करने के बाद ही व्रत को तोड़ती हैं। ऐसी मान्यता है कि करवा चौथ के दिन पूजा में मिट्टी के करवे का प्रयोग करना चाहिए। यह बेहद शुभ और पवित्र माना जाता है।

देवी मां का प्रतीक है करवा

करवा चौथ व्रत की शुरुआत सूर्योदय के साथ मानी जाती है। रात को चांद को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत पूर्ण माना जाता है। करवा चौथ की पूजा में करवा का विशेष महत्व होता हैं। करवा मिट्टी का बना एक मटका नुमा होता है। जिसके एक नलकी नुमा आकार भी होता है। इस करवे को मां देवी का प्रतीक मानकर पूजा की जाती है।

पूजन में मिट्टी का करवा खास

मिट्टी के करवे को पूजन विधि में खास माना जाता है। शादी के समय लड़कियों को मायके से करवा दिया जाता है। जिसे महिलाएं शादी के बाद हर करवा चौथ पर उपयोग करती हैं। पूजा के दौरान दो करवे रखे जाते हैं। इनमें से एक देवी मां का होता है और दूसरा सुहागिन महिला का।

करवा में ये जरूर भरे

करवापूजा में करवा चौथ की व्रत कथा सुनते समय दोनों करवे पूजा के स्थान पर रखे जाते हैं। करवे को साफ करके उसमें रक्षा सूत्र बांधकर, हल्दी और आटे के मिश्रण से एक स्वस्तिक चिह्न बनाया जाता है। इसके बाद करवे पर 13 रोली की बिंदी को रखकर हाथ में गेहूं या चावल के दाने लेकर करवा चौथ की कथा सुनी जाती है।

पूजन में ऐसे प्रयोग होता है करवा का 

पूजा करते समय और करवा चौथ व्रत कथा सुनते समय दो करवा पूजा के स्थान पर रखने होते हैं। एक वो जिससे महिलाएं अर्घ्य देती हैं यानी जिसे उस महिला की सास ने दिया होता है और दूसरा करवा वो होता है जिसे करवा बदलने वाली प्रक्रिया करते वक्त महिला अपनी सास को करवा देती हैं। करना को सबसे पहले अच्छे से साफ करा जाता है फिर करवा में रक्षा सूत्र बांधकर, हल्दी और आटे के मिश्रण से एक स्वस्तिक भी बनाया जाता है।

करवा को पंच तत्वों का प्रतीक माना गया

ज्योतिषाचार्य के अनुसार करवा पंच तत्वों का प्रतीक माना जाता है। मिट्टी के करवा में पांच तत्व होते हैं, जैसे कि जल, मिट्टी, अग्नि, आकाश, वायु इन सभी से व्यक्ति का शरीर भी बना है। करवा में मिट्टी और पानी मिलाया जाता है।


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