छत्तीसगढ़ में ज्योतिर्लिंग क्यों है प्रसिद्ध? सावन महीने में श्रद्धालुओं का लगता है तांता

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छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव की सिद्ध शक्तिपीठ मां पाताल भैरवी मंदिर तीन लोकों में निर्मित है। यहां पाताल लोक में मां पाताल भैरवी के साथ पतालेश्वर महादेव, भू-लोक में मां राजराजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी के साथ दसमहाविद्या विराजमान है। वहीं, आकाश लोक में भगवान भोलेनाथ के साथ द्वादश ज्योतिर्लिंगों की स्थापना की गई है। सावन माह में इस द्वादश ज्योतिर्लिंगों की एक साथ पूजा करने का अवसर मिलने से यहां श्रद्धालुओं की काफी भीड़ रहती है। इस दौरान श्रद्धालुओं ने कहा कि सावन माह में उन्हें एक जगह ही सभी ज्योतिर्लिंगों की पूजा करने का अवसर मिल रहा है जिससे काफी सुखद अनुभूति हो रही है।

सावन माह में मां पाताल भैरवी मंदिर में द्वादश ज्योतिर्लिंगों के दर्शन के लिए राजनांदगांव के अलावा छत्तीसगढ़ प्रदेश के कई जिलों और महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश से भी श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। मंदिर समिति के सचिव गणेश प्रसाद शर्मा ने कहा कि यहां दूर-दूर से श्रद्धालु सावन माह में द्वादश ज्योतिर्लिंगों के दर्शन के लिए आते हैं। उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं को यहां पातालेश्वर महादेव और पारदेश्वर महादेव के दर्शन का सौभाग्य भी मिलता है।

वहीं, सावन माह के महत्व को बताते हुए मां पाताल भैरवी मंदिर के पुजारी महामंडलेश्वर गोविंद महाराज ने बताया कि सावन माह में माता पार्वती ने भोले बाबा के लिए कठोर तपस्या की और उनकी भक्ति में लीन हो गई। माता पार्वती ने रेत से शिवलिंग बनाकर दुध,दही, शहद, घी से अभिषेक किया और उनकी मनोकामना पूर्ण हो गई।

उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति किसी कारण से 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन के लिए बाहर नहीं जा सकता है, उसके दर्शन यहां आने पर पूरे हो जाते हैं। मां पाताल भैरवी मंदिर में 151 किलो वजनी पारद से निर्मित शिवलिंग भी स्थापित है। जो धार्मिक मान्यता में काफी महत्व रखता है। कहा जाता है कि इस शिवलिंग के दर्शन मात्र से ही क्लेश दूर होता है, संकटों का निवारण होता है और घर में सुख, शांति, समृद्धि के साथ ही अच्छा स्वास्थ्य मिलता है।

 

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