नवरात्रि, हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो साल दो बार मनाया जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि नवरात्रि सिर्फ नौ दिनों तक क्यों मनाई जाती है? नौ अंक को हिंदू धर्म में बहुत पवित्र माना जाता है। नौ ग्रह, नौ रात्रियां, नौ रूपों वाली देवी दुर्गा ये सभी नौ अंक से जुड़े हैं। लेकिन क्या केवल एक संख्या ही इस त्योहार की अवधि निर्धारित करती है? या इसके पीछे कोई और गहरा अर्थ छिपा है? क्या नौ रातों का यह सफर सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान है या कोई और वजह आइए जानते हैं…
माता दुर्गा और महिषासुर का युद्ध
कथा के अनुसार, देवी दुर्गा ने महिषासुर नामक एक शक्तिशाली असुर के साथ युद्ध किया था। यह युद्ध पूरे 9 दिनों तक चला। देवताओं को परेशान करने वाले और धरती पर आतंक फैलाने वाले महिषासुर को पराजित करने के लिए देवी दुर्गा ने अपने सभी स्वरूपों के साथ संघर्ष किया। अंततः नवमी की रात्रि को मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया। इस जीत के बाद, देवी की शक्ति को समर्पित करने के लिए नवरात्रि का पर्व मनाना शुरू हुआ।
माता दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा
नवरात्रि के इन 9 दिनों में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है। इन स्वरूपों में शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री शामिल हैं। हर दिन एक स्वरूप की पूजा की जाती है और श्रद्धालु उपवास रखते हैं।
उपवास, भक्ति, गरबा और डांडिया
नवरात्रि के दौरान भक्तगण भक्ति भाव से माता रानी की आराधना करते हैं। इस पर्व पर न केवल पूजा-अर्चना की जाती है, बल्कि दुर्गा पूजा के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं, जिसमें गरबा, डांडिया और अन्य लोक नृत्य शामिल होते हैं।
नवरात्रि का संदेश
इस प्रकार, नवरात्रि का पर्व केवल देवी दुर्गा की पूजा का अवसर नहीं है, बल्कि यह शक्ति, श्रद्धा और साहस का प्रतीक भी है। यह हमें सिखाता है कि चाहे कितनी भी बड़ी कठिनाइयां क्यों न हों, सच्चे मन से की गई मेहनत और भक्ति से हर बाधा को पार किया जा सकता है।