मुंबई के वानखेड़े में ग्लेन मैक्सवेल ने दोहरा शतक जड़ा. लक्ष्य का पीछा करते हुए मैक्सवेल ने इतिहास रच दिया. हर कोई मैक्सवेल की तारीफ में कसीदे पढ़ रहा है. हालांकि, ऑस्ट्रेलिया की इस जीत में पैट कमिंस का भी योगदान महत्वपूर्ण रहा है. कमिंस की 68 गेंदों में 12 रनों की पारी ऑस्ट्रेलिया को जीत दिलाने में काफी मददगार रही.
राशिद खान, नूर अहमद और मुजीब उर रहमान की स्पिन का सामना करने में बड़े बड़े बल्लेबाजों के पसीने छूटे जा रहे थे. स्पिनर्स के अलावा अफगानिस्तान के तेज गेंदबाज भी कहर बरपा रहे थे, लेकिन कमिंल ने एक छोर थाम लिया और मैक्सवेल को खुलकर खेलना दिया.
91 रनों पर सात विकेट गिरने के बाद जब पैट कमिंस बल्लेबाजी के लिए आए तो उनको यकीन था कि वो और मैक्सवेल मिलकर मैच पलट सकते हैं. उनके चेहरे पर यह विश्वास साफ दिखाई दे रहा था. अपनी पारी में कमिंस एक बार भी असहज नहीं दिखे. वह आसानी से लीव और डिफेंस करते रहे. मानो उन्हें विश्वास हो कि मैक्सवेल इतिहास रच देगा.
कमिंस ने भले ही सिर्फ 12 रन बनाए, लेकिन उनका 68 गेंदे खेलना ही ऑस्ट्रेलिया को जीत दिलाने के लिए काफी रहा. अगर कमिंस जल्द आउट हो जाते या इतना सहज होकर अफगान के गेंदबाजों को न खेलते तो फिर मैक्सवेल ऐसी ऐतिहासिक पारी न खेल पाते.
मैक्सवेल और कमिंस ने आठवें विकेट के लिए 202 रनों की साझेदारी की. भले ही इस साझेदारी में मैक्सवेल के रन बहुत ज्यादा रहे, लेकिन ये तभी संभव हुआ जब कमिंस एक छोर संभाले रहे.
अफगानिस्तान ने पहले खेलने के बाद 291 रन बनाए थे. जवाब में ऑस्ट्रेलिया ने 91 रनों सात विटकेट गंवा दिए. इसके बाद मैक्सवेल और कमिंस ने 202* रनों की साझेदारी की और अफगानिस्तान के मुंह से जीत छीन ली. मैक्सवेल को इस विशाल पारी में 33 रनों के निजी स्कोर पर कैच छूट जाने से जीवनदान मिला था, जिसका उन्होंने खूब फायदा उठाया. वहीं ये ऑस्ट्रेलिया के लिए वर्ल्ड कप में सबसे बड़ा रन चेज रहा.