पूरी दुनिया में क्यों है सुपर वॉलकैनो की चर्चा, जानिए ज्वालामुखी क्यों फटते हैं?
इंटरनेट हो या सोशल मीडिया इन दिनों हर जगह सुपर वॉलकैनो की चर्चा हो रही है. हर इंसान जानना चाहता है कि इस ज्वालामुखी में ऐसा क्या है कि दुनिया इससे डरी हुई है. खासतौर से इटली में रहने वाले लोग इस सुपर वॉलकैनो से सबसे ज्यादा घबराए हुए हैं. चलिए आपको बताते हैं इस ज्वालामुखी की कहानी और इसके साथ ही आपको बताते हैं कि ज्वालामुखी आखिर फटते क्यों हैं.
कौन सा ज्वालामुखी है ये
जिसे दुनिया सुपर वॉलकैनो कह रही है, उसका असली नाम कैम्पी फ्लेग्रेरी है. ये ज्वालामुखी दुनिया के 20 सबसे ज्यादा सक्रिय ज्वालामुखियों में से एक है. कैम्पी फ्लेग्रेरी लगभग 12 से 15 किलोमीटर के एरिया में फैला हुआ है. जबकि, इस ज्वालामुखी के फटने से जो एरिया सबसे ज्यादा प्रभावित होगा वो एरिया करीब 200 किलोमीटर के अंतर्गत है.
सुपर वॉलकैनो कैसे बनते हैं
सुपर वॉलकैनो कोई ज्वालामुखी तब बनता है जब वह एक जगह पर 240 घन मील से अधिक सामग्री में विस्फोट हुआ हो. इटली के कैम्पी फ्लेग्रेरी के साथ ऐसा ही है. यही वजह है कि इसे सुपर वॉलकैनो कहा जाता है. आपको बता दें, आखिरी बार ये ज्वालामुखी साल 1538 में हुआ था. ये विस्फोट इतना खतरनाक था कि इसकी वजह से नेपल्स की खाड़ी में एक नया पहाड़ बन गया था.
ज्वालामुखी कब और क्यों फटते हैं
ज्वालामुखी एक तरह का पहाड़ होता है जिसके नीचे ढेर सारा पिघला हुआ लावा होता है. दरअसल, पृथ्वी के भीतर जियोथर्मल एनर्जी भारी मात्रा में होती है. ऐसे में इस एनर्जी के कारण पत्थर पिघल कर लावा में बदल जाता है. यही लावा जब ऊपर की ओर दबाव बनाता है तो पहाड़ फट जाता है और वह ज्वालामुखी कहलाता है.
विज्ञान की भाषा में इसे समझना चाहते हैं तो इसे ऐसे समझिए कि पृथ्वी के भीतर जब टेक्टोनिक प्लेट्स आपस में घर्षण करते हैं तो उससे उत्पन्न होने वाली एनर्जी से पत्थर पिघलने लगते हैं, फिर यही पिघले हुए पत्थर और गैस ऊपर की और दबाव पैदा करते हैं जिससे पहाड़ फट जाता है और ज्वालामुखी में बदल जाता है.
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