बिहार में भाजपा हाईकमान ने गुरुवार को आधी रात में बड़ा दांव चलते हुए सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया। उनकी जगह पार्टी ने दिलीप जायसवाल को नया अध्यक्ष नियुक्त किया है। कुशवाहा और कोइरी वोटर्स की अगुवाई करने वाले सम्राट चौधरी को पार्टी ने इतनी जल्दबाजी में क्यों निपटाया? राजनीति के जानकार इसके अलग-अलग कारण गिना रहे हैं। ऐसे में आइये जानते है बिहार में सम्राट चौधरी को क्यों हटाया गया?
1. बिहार में बीजेपी ने इस बार 17 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन पार्टी को 12 सीटों पर ही जीत मिली। पार्टी आरा, औरंगाबाद, बक्सर और सासाराम सीटें हार गई। इन सीटों पर कुशवाहा और कोइरी समाज के वोटर्स बहुतायत में है। ऐसे में 2019 में ये सीटें भाजपा के पास थीं। सम्राट चौधरी अपने प्रभाव वाली इन सीटों पर बीजेपी को जीत नहीं दिला पाए। हालांकि हार के कई और भी कारण थे लेकिन प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी तो जानी ही थी।
2. सीमांचल में सीटें जोड़ने की कवायद
बिहार में बीजेपी को दलित, ओबीसी और सवर्णों का वोट मिलता रहा है। लेकिन सीमाचंल में अति पिछड़ा वर्ग के वोट बीजेपी को नहीं मिलते हैं। सीमांचल को छोड़कर पार्टी का सभी सीटों पर व्यापक प्रभाव है। सीमाचंल में मुस्लिम आबादी भी अच्छी-खासी तादाद में है। ऐसे में पार्टी ने सीमांचल को फतह करने और अति पिछड़ा समुदाय यानी वैश्यों के वोट हासिल करने के लिए दिलीप जायसवाल को प्रदेश की कमान सौंप दी।
3. जेडीयू से छिटका परंपरागत वोट बैंक
बिहार में नीतीश कुमार लव-कुश की राजनीति में विश्वास करते हैं। पार्टी का वोट बैंक भी कुर्मी और कोइरी समाज है। हालांकि पिछले कुछ सालों में जेडीयू का यह वोट बैंक बीजेपी और अन्य पार्टियों में ट्रांसफर हुआ है। दिलीप जायसवाल की कुर्मी और कोइरी समाज में अच्छी पैठ मानी जाती है। ऐसे में पार्टी ने इसका फायदा उठाने के लिए दिलीप जायसवाल को अध्यक्ष बनाया है।
4. बीजेपी में एक व्यक्ति एक पद की परंपरा
बीजेपी में एक पद पर एक नेता की रवायत रही है। ये भी सम्राट चौधरी के लिए के लिए पद से हटाने की बड़ी वजहों में से एक है। वे पहले बीजेपी के अध्यक्ष बने थे। बाद में जब नीतीश कुमार फिर से एनडीए में आए तो उन्हें सरकार में डिप्टी सीएम बनाया गया था। लेकिन लोकसभा चुनाव के चलते उन्हें बरकरार रखा गया। ऐसे में अब विधानसभा चुनाव 2025 से पहले नए अध्यक्ष को पूरा समय मिले और सरकार के दायित्वों से मुक्त होकर संगठन को आगे बढ़ा सके इसलिए पार्टी ने उनकी जगह दिलीप जायसवाल को पार्टी अध्यक्ष बनाया है। यहां गौर करने वाली बात यह है कि दिलीप जायसवाल भी नीतीश सरकार में मंत्री है ऐसे में वे भी पद से इस्तीफा देंगे।