मोकामा के पंचमाला में सोनू-मोनू गैंग के साथ फायरिंग के मामले में उनको सरेंडर करना पड़ा है. आर्म्स एक्ट में वह पहले ही अपनी विधायकी गंवा चुके हैं. ऐसे में अगर इस मामले में 2 साल से अधिक की सजा मिली तो चुनाव लड़ने पर भी रोक लग जाएगी. हालांकि उससे पहले ही उनके टिकट और सियासी भविष्य को लेकर सवाल उठने लगे हैं.
आर्म्स एक्ट में मिली थी 10 साल की सजा: आर्म्स एक्ट में ही अनंत सिंह लंबे समय तक जेल में रहे थे. उन्हें पटना एमपी-एमएलए कोर्ट ने 10 साल की सजा सुनाई थी. सजा मिलने के बाद उनकी विधायकी चली गई. उपचुनाव में उनकी पत्नी नीलम देवी आरजेडी के सिंबल पर मोकामा की विधायक बनीं. हालांकि बाद में हाईकोर्ट ने अनंत सिंह को बरी कर दिया था. अदालत से निर्दोष साबित होने के बाद से वह चुनाव की तैयारियों में जुटे थे. वह कई बार कह चुके हैं कि जेडीयू के टिकट पर 2025 विधानसभा चुनाव में पत्नी की जगह वे खुद लड़ेंगे.
बाहुबली अनंत सिंह पर सियासी संकट: सोनू-मोनू गैंग के साथ हालिया गोलीकांड के कारण अनंत सिंह की मुश्किलें फिर से बढ़ गईं हैं. जब पहली बार आर्म्स एक्ट मामले को लेकर कार्रवाई और सजा हुई थी, तब वह नीतीश कुमार के खिलाफ थे लेकिन कोर्ट से पक्ष में फैसला आने के बाद नीतीश कुमार के समर्थन में बयान दे रहे हैं. उनकी पत्नी आरजेडी से बगावत कर अलग हो चुकी हैं और जेडीयू के साथ हैं. अब ऐसे में एक बार फिर से आर्म्स एक्ट में जेल में जाने के बाद अब यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस चुनाव में ‘छोटे सरकार’ को जेडीयू का टिकट देंगे?
टिकट पर जेडीयू का गोलमोल जवाब: जनता दल यूनाइटेड के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार का कहना है कि यह तो पार्टी समय आने पर तय करेगी, यह विषय अभी भविष्य के गर्भ में है. उन्होंने कहा कि बिहार की जनता पर नीतीश कुमार भरोसा करते हैं और जनता मुख्यमंत्री के कानून के राज पर भरोसा करती है. इसका एहसास मोकामा के लोगों को भी है. क्राइम से सीएम ने कभी भी समझौता नहीं किया है और आगे भी नहीं करेंगे.
“मोकामा हत्याओं की श्रृंखला के लिए जाना जाता है लेकिन आज नीतीश कुमार के राज में कोई जुर्रत भी नहीं कर सकता है. अपवाद में एक दो घटनाएं जरूर हुई हैं. पार्टी जरूर समझती है कि बिहार में जनता का जो जनादेश है, वह कानून के राज के लिए है और बिहार की जनता भी यही चाहती है. जहां तक किसी को टिकट देने या ना देने का सवाल है तो समय आने पर फैसला होगा.”- नीरज कुमार, मुख्य प्रवक्ता, जेडीयू
क्या अनंत सिंह की सियासत खत्म हो जाएगी?: राजनीतिक विशेषज्ञ अरुण पांडे का कहना है कि अनंत सिंह से बिहार में किसी भी दल को परहेज नहीं है. वह याद दिलाते हैं कि कैसे पहले नीतीश कुमार और बाद में लालू प्रसाद यादव उनको चुनाव लड़ा चुके हैं. अरुण पांडे ये भी कहते हैं कि जेल जाने से उनकी राजनीति खत्म नहीं होने वाली है. उनके मुताबिक केस होना कोई बाधा नहीं है. दिक्कत तब होगी, जब नीतीश कुमार उनको टिकट नहीं देंगे लेकिन आज की तारीख में अनंत सिंह जेडीयू और मुख्यमंत्री के लिए राजनीतिक मजबूरी बन गए हैं.
“अनंत सिंह से बिहार में किसको परहेज है, ना नीतीश कुमार को और ना ही लालू प्रसाद यादव को उनसे दिक्कत होगी. जहां तक केस की बात है तो यह कोई मामला नहीं है. पहले भी सजा हुई थी और बरी भी हो गए. अब आर्म्स एक्ट मामले में फिर जेल गए हैं तो साबित होगा तब ना? केस कहीं बाधा नहीं है. टिकट नहीं मिलेगा तब दिक्कत है लेकिन आज अनंत सिंह नीतीश कुमार के लिए मजबूरी हैं.”- अरुण पांडे, राजनीतिक विशेषज्ञ
क्या कहते हैं कानूनी जानकार?: अनंत सिंह के चुनाव लड़ने संबंधी कानूनी बाध्यता पर पटना हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट आलोक कुमार सिन्हा कहते हैं कि जब तक ट्रायल शुरू नहीं हो जाता और 2 साल से ऊपर की सजा नहीं मिलती, तब तक कोई कानून अड़चन नहीं है. उनके मुताबिक आर्म्स एक्ट में एक साल से लेकर 10 साल तक की सजा हो सकती है. लिहाजा सिर्फ केस दर्ज होने से कोई मुश्किल की बात नहीं है.
“आर्म्स एक्ट में जेल जाने से चुनाव लड़ने पर रोक नहीं लग सकता है. अभी तो ट्रायल भी शुरू नहीं हुआ है. ट्रायल शुरू होगा, उसके बाद सजा होगी. जब 2 साल कम से कम की सजा होगी, तभी चुनाव लड़ने पर रोक लगा सकता है. इसलिए अभी कहीं कोई कानूनी दिक्कत नहीं है.”- आलोक कुमार सिन्हा, सीनियर एडवोकेट, पटना हाईकोर्ट
अनंत सिंह ने बहुमत साबित करने में की थी मदद: अनंत सिंह अपने इलाके में ‘छोटे सरकार’ के नाम से भी जाने जाते हैं. अपने समर्थकों के बीच ‘रॉबिन हुड’ की छवि रखने वाले अनंत सिंह का मोकामा सीट पर साल 2005 से कब्जा है. जेल में रहकर भी वह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव जीत चुके हैं. जेडीयू और आरजेडी के सिंबल पर भी विधायक रहे हैं. 2014 में जब नीतीश कुमार ने महागठबंधन का साथ छोड़ा था, तब उनकी विधायक पत्नी नीलम देवी ने आरजेडी का साथ छोड़कर एनडीए को समर्थन दिया था. लोकसभा चुनाव में अनंत ने ललन सिंह के लिए प्रचार किया था.
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