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सीएम नीतीश की खराब तबीयत से बिगड़ ना जाए एनडीए की सेहत?

ByKumar Aditya

दिसम्बर 22, 2024
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पटना: बिहार की राजनीति में ये बात मशहूर है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब-जब और अस्वस्थ या मौन होते हैं, तब-तब सूबे की सियासत करवट लेती है. बिहार बिजनेस कनेक्ट 2024 ने अभूतपूर्व सफलता हासिल की और ऐतिहासिक एमओयू साइन हुए लेकिन इवेंट से सीएम का गायब होना विपक्ष के लिए बड़ा मुद्दा बन गया है. चर्चा शुरू हो गई कि नीतीश असल में अमित शाह के उस बयान से नाराज हैं, जिसमें उन्होंने सीएम फेस को लेकर कहा था कि चुनाव बाद पार्लियामेंट बोर्ड तय करेगा. इन सबके बीच दिल्ली में बीजेपी कोर कमेटी की बैठक बुलाई गई है.

बिजनेस कनेक्ट में मिली ऐतिहासिक सफलता

श्री कृष्ण सिंह के कार्यकाल में बिहार में औद्योगीकरण को गति मिली थी और अब यह दूसरा मौका है, जब बिहार में औद्योगिक बदलाव के बयार बह रहे हैं. बिहार बिजनेस कनेक्ट 2024 में कुल मिलाकर 1लाख 80 हजार करोड़ के निवेश के प्रस्ताव सरकार को हासिल हुए हैं. आने वाले कुछ दिनों में यह आंकड़ा 2 लाख करोड़ के आसपास पहुंचने वाला है. बिजनेस कनेक्ट की सफलता से बिहार सरकार उत्साहित है.

सीएम के नहीं आने से उद्योगपति हुए निराश

नीतीश कुमार को भी बिजनेस कनेक्ट में बतौर मुख्यमंत्री शामिल होना था. पहले दिन उद्घाटन सत्र था और उद्घाटन सत्र के दौरान बीजेपी के तमाम नेता मौजूद थे. दूसरे दिन सीएम को कुछ बड़े उद्योगपतियों से मिलना था और एमओयू साइन होने थे लेकिन विडंबना रही कि नीतीश कुमार दूसरे दिन बिहार बिजनेस कनेक्ट में हिस्सा लेने नहीं पहुंचे. उनकी गैरमौजूदगी उनका संदेश पढ़ा गया. कार्यक्रम में नहीं आने के पीछे की वजह मुख्यमंत्री का अस्वस्थ होना बताया गया. कई उद्योगपति इस उम्मीद में थे कि सरकार के मुखिया से उनकी मुलाकात होगी.

“बिहार बिजनेस कनेक्ट ऐतिहासिक सफलता है और डबल इंजन की सरकार के नेतृत्व में बिहार आगे बढ़ रहा है. जहां तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बिजनेस कनेक्ट में शामिल नहीं होने का सवाल है तो उनकी तबीयत खराब थी. इस वजह से वह बिजनेस कनेक्ट में शामिल नहीं हो पाए.”- प्रेम कुमार, मंत्री सह बीजेपी नेता

प्रेस कॉन्फ्रेंस में नहीं पहुंचे नीतीश मिश्रा

बिहार बिजनेस कनेक्ट में भले ही अब तक का सबसे बड़ा निवेश का प्रस्ताव सामने आया हो लेकिन मुख्यमंत्री के नहीं आने से उद्योगपतियों में थोड़ा असंतोष का माहौल था. उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा भी असहज दिखे. दूसरे दिन संवाददाता सम्मेलन के दौरान भी अधिकारी इंतजार करते रहे लेकिन विभागीय मंत्री नहीं पहुंचे. अंततः अधिकारियों को ही प्रेस कॉन्फ्रेंस कनक्लूड करना पड़ा.

“नीतीश कुमार हर मौके पर अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं कर सकते हैं. बिहार बिजनेस कनेक्ट में नहीं गए. उद्योगपतियों के बीच इसके सकारात्मक संदेश नहीं गए हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी राय भी नहीं देते हैं.”- तेजस्वी यादव, नेता प्रतिपक्ष

नेतृत्व को लेकर एनडीए में मंथन

दरअसल नेतृत्व को लेकर एनडीए के अंदर चर्चा है. सवाल यह उठ रहा है कि 2025 का चुनाव किसके नेतृत्व में लड़ा जाएगा? केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नेतृत्व को लेकर सवाल को टाल दिया था. जिस पर बाद में जेडीयू की ओर से तीखी प्रतिक्रिया भी आई. बिजनेस कनेक्ट में मुख्यमंत्री का नहीं आना उनकी नाराजगी के रूप में भी देखा जा रहा है.

क्या बोले थे अमित शाह?

दरअसल, एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में एकंर ने पूछा कि क्या नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में चुनाव लड़ेंगे? इस पर अमित शाह ने कहा, ‘देखिये इस तरह का मंच पार्टी के डिसिजन लेने के लिए या बताने के लिए नहीं होता है. मैं पार्टी का डिसिप्लिन कार्यकर्ता हूं. पार्टी पार्लियामेंट्री बोर्ड की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा होगी और फैसला लिया जाएगा.’

आंबेडकर के बहाने केजरीवाल की नीतीश से अपील

पहले सीएम फेस और उसके बाद राज्यसभा में भीमराव आंबेडकर को लेकर गृहमंत्री अमित शाह के बयान पर विपक्ष ने नीतीश कुमार को भी टारगेट करना शुरू कर दिया है. आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने तो मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर बीजेपी का साथ छोड़ने तक पर विचार करने की अपील कर दी. हालांकि जेडीयू ने इस मांग को ठुकरा दिया.

“अमित शाह नेतृत्व के मुद्दे पर मान रहे हैं. इसका मतलब समर्थन है. नीतीश कुमार क्लाइमेट लीडर हैं और उनके नेतृत्व में बिहार ऊंचाइयों पर पहुंची है.”- नीरज कुमार, मुख्य प्रवक्ता, जनता दल यूनाइटेड

बदलते राजनीतिक घटनाक्रम के बीच दिल्ली में भी सियासी पारा चढ़ गया है. बिहार बीजेपी के तमाम बड़े नेता दिल्ली तलब किए गए हैं और बिहार मामले को लेकर ही कोर कमेटी की बैठक बुलाई गई है. प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा के अलावे तमाम कोर कमेटी के सदस्य दिल्ली पहुंच चुके हैं.

नीतीश के नेतृत्व पर क्या बोले बीजेपी नेता?

वहीं, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल से पूछा गया कि क्या अगला चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में आप लोग लड़ेंगे, तो उन्होंने कहा, ‘पार्टी का जो निर्णय है, वह आप सभी के सामने है और सभी दल इस विषय पर एक साथ हैं.’

दिल्ली विधानसभा चुनाव पर जेडीयू की नजर

अगले साल दिल्ली में विधानसभा चुनाव होना है. विधानसभा चुनाव में जेडीयू भी एनडीए के साथ चुनाव लड़ना चाहता है. चुनाव में जेडीयू की इच्छा आधे दर्जन से अधिक सीटों पर लड़ने की है. इसके अलावे जेडीयू यह भी चाहता है कि नीतीश कुमार के नेतृत्व को लेकर पहले से स्थिति स्पष्ट कर दी जाए.

क्या कहते हैं जानकार?

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक रवि उपाध्याय का मानना है कि बिहार एनडीए में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है. बिजनेस कनेक्ट में मुख्यमंत्री के नहीं जाने से संदेश सकारात्मक नहीं दिया है. दिल्ली में कोर कमेटी की बैठक बुलाई गई है. कहीं ना कहीं एनडीए में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है.

“जिस तरीके से अंबेडकर को लेकर बवाल खड़ा हुआ है और नेतृत्व को लेकर गोल-मटोल जवाब दिए जा रहे हैं, वैसी स्थिति में जदयू खेमे में नाराजगी साफ दिख रही है. इसके अलावे नीतीश कुमार दिल्ली विधानसभा सीट में भी अधिक सीट चाहते हैं. नीतीश कुमार दबाव बनाने की भी कोशिश कर रहे हैं.”- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार


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