नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्षी एकता की मुहिम बिहार से शुरू हुई थी और नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव विपक्षी एकता के सूत्रधार बने थे. दो-तीन बैठकों के बाद गठबंधन का नाम इंडिया तय किया गया. नीतीश कुमार ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले इंडिया गठबंधन का साथ छोड़ दिए।
लालू-नीतीश विपक्षी एकता के सूत्रधार: आपको बता दें कि विपक्षी एकता को लेकर पहली बैठक राजधानी पटना में हुई थी और उसमें 15 दल शामिल हुए थे. उसके बाद दूसरी बैठक बेंगलुरु में हुई थी और बेंगलुरु में 26 दलों के नेता बैठक में शामिल हुए. तीसरी बैठक मुंबई में आयोजित की गई और इस बैठक में 28 दलों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. अंतिम बैठक दिल्ली में आयोजित हुई थी।
कांग्रेस के लिए क्यों हैं लालू जरूरी?: लोकसभा चुनाव के नतीजे 4 जून को आने हैं, लेकिन उससे पहले 1 जून को ही इंडिया गठबंधन की महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गई है. दिल्ली में तमाम दलों के दिग्गज नेता गठबंधन की बैठक में जुट रहे हैं. सबकी नजरें लालू प्रसाद यादव तेजस्वी यादव पर टिकी है. लालू प्रसाद यादव की भूमिका इसलिए अहम हो जाती है क्योंकि कांग्रेस की छतरी के नीचे कैसे तमाम दल आएं और अगर सरकार बनने की स्थिति आती है तो नेतृत्व कौन करें, इन सबके लिए लालू का होना जरूरी है।
लालू नाम केवलम्: हिंदी पट्टी में लालू प्रसाद यादव पुराने और अनुभवी नेताओं में गिने जाते हैं. लालू प्रसाद यादव के प्रभाव में जहां अखिलेश यादव हैं, वहीं हेमंत सोरेन और ममता बनर्जी से भी लालू प्रसाद यादव के अच्छे रिश्ते हैं. शरद पवार भी लालू प्रसाद यादव के करीबी नेताओं में गिने जाते हैं।
1 जून को दिल्ली में बैठक: लालू प्रसाद यादव और सोनिया गांधी परिवार के बीच अच्छे रिश्ते हैं. सोनिया गांधी को लेकर विदेशी मूल का मामला जब कुछ राजनीतिक दलों ने उठाया था तो लालू प्रसाद यादव मजबूती से सोनिया गांधी के साथ खड़े दिखे. लालू प्रसाद यादव ने राहुल गांधी को मटन बनाना भी सिखाया. तेजस्वी और राहुल गांधी चुनाव प्रचार में भी साथ-साथ दिखे. दिल्ली में होने वाली 1 जून की बैठक में लालू और तेजस्वी भी शामिल होंगे।
सलाहकार की भूमिका निभा सकते हैं लालू: लालू प्रसाद यादव को बिहार में अगर अधिक सीटें मिलती हैं तो ऐसी स्थिति में लालू प्रसाद यादव निर्णय लेने की भूमिका में होंगे और बहुत चीजों को वह प्रभावित भी कर सकते हैं. अगर राष्ट्रीय जनता दल को अधिक सीट नहीं आती है तो ऐसी स्थिति में लालू प्रसाद यादव की भूमिका सलाहकार की हो सकती है. बिहार से भाकपा माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य भी बैठक में शामिल होंगे।
‘नीतीश कुमार महागठबंधन का हिस्सा बनेंगे’- तेजस्वी: दिल्ली की बैठक में जहां पोस्ट पोल एलाइंस पर बातचीत होगी. वहीं चुनाव के नतीजे के बाद संभावित विकल्प पर भी राजनीतिक दल विमर्श करेंगे. इधर तेजस्वी यादव ने यह बयान देकर सनसनी पैदा कर दी है कि “4 जून के बाद नीतीश कुमार महागठबंधन का हिस्सा हो जाएंगे.”
“4 जून के बाद कुछ बड़ा होने वाला है और बिहार की राजनीति में भूचाल के संकेत हैं. चाचा नीतीश कुमार पार्टी को बचाने के लिए बड़ा फैसला ले सकते हैं और जब से मैंने यह बात कहा है तब से वह चुनाव प्रचार में नहीं निकले हैं.”- तेजस्वी यादव, नेता प्रतिपक्ष
‘शोक सभा मना रहा विपक्ष’: पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और भाजपा सांसद संजय जायसवाल ने कहा है कि “जिस मरीज का ब्रेन डेथ हो गया है, उस पर चर्चा करने का कोई मतलब नहीं है. 4 जून के बाद यह लोग बैठक करने के लायक नहीं रहेंगे. इसलिए पहले ही बैठक कर ले रहे हैं. एक तरीके से 1 जून को यह लोग अपना शोक सभा मना रहे हैं.”
“इंडिया गठबंधन चुनाव के नतीजे के बाद बैठक करने लायक नहीं रहेगी. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को बड़े मतों के अंतर से जीत हासिल होने जा रही है. हमारे नेता नीतीश कुमार एनडीए के साथ हैं. तेजस्वी यादव भ्रम की स्थिति पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं इससे उन्हें कुछ हासिल होने वाला नहीं है.”- मधुरेंदु पांडे, जदयू प्रवक्ता
नतीजे से पहले बैठक बुलाने का मकसद: वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक प्रवीण बागी का मानना है कि आमतौर पर चुनाव के नतीजे के बाद बैठक होती है लेकिन इस बार नतीजे से पहले बैठक बुलाई गई है. संभवत: नेता नतीजे को लेकर आगे की रणनीति बनाएंगे. अगर बहुमत आती है तो इंडिया गठबंधन का मूव क्या होना चाहिए और अगर बहुमत नहीं आती है तो इंडिया गठबंधन की भूमिका क्या होनी चाहिए, इसपर चर्चा हो सकती है।
“लालू प्रसाद यादव के कांग्रेस पार्टी से अच्छे रिश्ते रहे हैं और प्रधानमंत्री पद को लेकर जब संघर्ष की स्थिति पैदा होगी तो लालू प्रसाद यादव की भूमिका अहम होने वाली है. यह भी स्पष्ट है कि अगर राष्ट्रीय जनता दल को बिहार में अधिक सीट मिलती है तो लालू प्रसाद यादव निर्णय लेने की स्थिति में होंगे. नीतीश कुमार को लेकर तेजस्वी यादव के बयान का मसला है तो तेजस्वी यादव पॉलिटिकल माइलेज लेने के लिए बयानबाजी कर रहे हैं.”- प्रवीण बागी, राजनीतिक विश्लेषक