सनातन धर्म में मकर संक्रांति का खास महत्व होता है। जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, तब मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन स्नान और दान-पुण्य का काफी महत्व होता है। मकर संक्रांति के दिन किसी-किसी जगह पर खिचड़ी खाने की परंपरा है। ऐसे में इसे खिचड़ी भी कहा जाता है।
मकर संक्रांति पर्व 14 या 15 जनवरी को मनाया जाएगा, इसको लेकर इस साल भी लोगों के बीच संशय की स्थिति है हालांकि उदयातिथि के मुताबिक, मकर संक्रांति का पर्व इस बार 15 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन सूर्य रात 2 बजकर 54 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। मकर संक्रांति पुण्यकाल सुबह 07.15 मिनट से शाम 06.21 मिनट तक रहेगा वहीं मकर संक्रांति का महा पुण्यकाल सुबह 07.15 से सुबह 09.06 मिनट तक रहेगा।
77 सालों के बाद 15 जनवरी को मकर संक्रांति पर वरीयान योग और रवि योग का संयोग बन रहा है। इस दिन बुध और मंगल भी एक ही राशि धनु में विराजमान रहेंगे। ऐसे में इस दिन मकर संक्रांति का पर्व मनाना शुभ फलदायी होगा। ऐसी मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि देव से मिलने के लिए आते हैं और शुक्र का उदय भी लगभग इसी समय होता है इसलिए यहां से मांगलिक कार्यों की भी शुरुआत हो जाती है।
ऐसे करें पूजा..
मकर संक्रांति के दिन सुबह स्नान कर लोटे में लाल फूल और अक्षत डाल कर सूर्य को अर्घ्य दें। इस दौरान सूर्य के बीज मंत्र का जाप करें। श्रीमदभागवद के एक अध्याय का पाठ करें या गीता का पाठ करें। नए अन्न, कम्बल, तिल और घी का दान करें। भोजन में नए अन्न की खिचड़ी बनाएं। भगवान को भोजन समर्पित करने के बाद उसे प्रसाद रूप से ग्रहण करें। संध्या काल में अन्न का सेवन नहीं करें। इस दिन किसी गरीब व्यक्ति को बर्तन समेत तिल का दान करने से शनि से जुड़ी हर पीड़ा से मुक्ति मिलती है।