सियासी मकर संक्रांति के जरिए शक्ति प्रदर्शन भी की जा रही है. केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के आवास पर मकर संक्रांति का भोज आयोजन किया गया तो चाचा पशुपति पारस ने भी मकर संक्रांति की भोज विधायक कॉलोनी आवास पर आयोजित की है.
पशुपति पारस का सियासी दही चूड़ा: बिहार में मकर संक्रांति के मौके पर सियासी भोज का आयोजन किया जा रहा है. राजनीतिक दल की ओर से भी भोज आयोजित की जा रही है. दही चूड़ा भोज के जरिए नेता राजनीतिक थर्मामीटर लगाने का काम भी करते हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने भी दही चूड़ा भोज का आयोजन किया है.
“हमारे नेता मकर संक्रांति का भोज आयोजित कर रहे हैं. एनडीए और महागठबंधन के तमाम बड़े नेताओं को आमंत्रण भेजा गया है. बड़ी संख्या में कार्यकर्ता भी भोज में मौजूद रहेंगे. मकर संक्रांति भोज का कोई राजनीतिक निहितार्थ नहीं है.“- सरवन अग्रवाल, राष्ट्रीय प्रवक्ता,लोक जनशक्ति
चाचा भतीजे के बीच लड़ाई जारी: बिहार में चाचा और भतीजे के बीच राजनीतिक लड़ाई पिछले कई महीनों से चल रही है. पहले चाचा पशुपति पारस केंद्र की सरकार में मंत्री थे और भतीजा चिराग पासवान मंत्रिमंडल से बाहर थे. लोकसभा चुनाव के बाद तस्वीर बदल गई चाचा पशुपति पारस हाशिये पर आ गए और भतीजे चिराग पासवान को मंत्रिमंडल में जगह मिल गई.
चिराग के दही चूड़ा में शामिल नहीं हुए चाचा: चिराग पासवान के आवास पर मकर संक्रांति का भोज आयोजित किया गया, लेकिन चाचा पशुपति पारस और उनसे जुड़ा कोई नेता भोज में शामिल नहीं हुआ.
चिराग पासवान को नहीं मिला न्योता: पशुपति पारस की ओर से दही चूड़ा भोज का आयोजन किया जा रहा है. पशुपति पारस ने नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव, तेजस्वी यादव समेत तमाम बड़े नेताओं को निमंत्रण दिया है. मिल रही जानकारी के मुताबिक चाचा पशुपति पारस ने भतीजे चिराग पासवान को निमंत्रण नहीं भेजा है.
क्या पकेगी सियासी खिचड़ी: आपको बता दें कि पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस बिहार के सियासत में जगह बनाना चाहते हैं और फिलहाल वह गठबंधन की तलाश में है. विधानसभा चुनाव से पहले पशुपति पारस संभावनाओं को तलाश रहे हैं. नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव के पशुपति पारस से करीबी रिश्ते रहे हैं, सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि पशुपति पारस के भोज में कौन-कौन से बड़े नेता शामिल होते हैं.
क्या पारस के घर पकेगी सियासी खिचड़ी?: ऐसे में सियासी गलियारों में अटकलें तेज हैं कि क्या पशुपकि पारस के यहां लंबे समय बाद नीतीश कुमार और लालू यादव की मुलाकात होगी? हालांकि बिहार की राजनीतिक स्थिति को देखते हुए इसकी संभावना कम ही दिखती है. लेकिन बिहार में दही-चूड़ा भोग के दौरान बड़े-बड़े राजनीतिक खेल के पुराने इतिहास को देखें तो लगता है कि कुछ भी असंभव नहीं है. मंगलवार को मीसा भारती ने अपने बयान से राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है.