एसीएस केके पाठक की ओर से समय-समय पर जारी किए जा रहे अलग-अलग सख्त नियमों से हड़कंप मचा है. अब शिक्षा विभाग (Bihar Education Department) के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए शिकायत की गई है. कहा गया है कि केके पाठक के अड़ियल रवैये के कारण विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों की स्थिति पूरी तरह से चरमराई हुई है.
भारत सरकार के कैबिनेट सचिव को भेजा गया ज्ञापन
दरअसल, बिहार के विश्वविद्यालयों की अकादमिक स्वायत्तता में अपर मुख्य शिक्षा सचिव के गैरजरूरी हस्तक्षेप, बिहार के विश्वविद्यालयों के अकाउंट फ्रीज किए जाने पर अभाविप ने भारत सरकार के कैबिनेट सचिव को ज्ञापन भेजकर कार्रवाई की मांग की है. अभाविप के मुताबिक शिक्षा विभाग की ओर से बिहार के विश्वविद्यालयों के सभी प्रकार के बैंक खातों पर रोक लगाए जाने से उत्पन्न वित्तीय संकट के कारण पूर्व से निर्धारित परीक्षाएं स्थगित हो गई हैं. विश्वविद्यालयों और उससे संबद्ध महाविद्यालयों की शैक्षणिक गतिविधियों, शैक्षणिक सत्रों, परीक्षा कार्यों एवं प्रशासनिक कार्यों पर प्रतिकूल असर देखने को मिल रहा है.
बिहार शिक्षा विभाग द्वारा विश्वविद्यालयों के अकाउंट फ्रीज करने से पूरे बिहार के उच्च शिक्षण संस्थान बीते तीन महीने से गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं, जिसका दुष्परिणाम बिहार के उच्च शिक्षा क्षेत्र पर पड़ रहा है. साथ ही बिहार राज्य के अपर मुख्य सचिव द्वारा लगातार विश्वविद्यालयों के निर्णयों में गैरजरूरी हस्तक्षेप से अकादमिक तथा प्रशासनिक संकट उत्पन्न हो गया है. विश्वविद्यालयों के अकाउंट फ्रीज होने से 3,500 प्राध्यापक, 2,800 शिक्षकेत्तर कर्मचारी, 3,000 से अधिक सेवानिवृत्त प्राध्यापक, 1,400 अतिथि प्राध्यापक, 2,500 संविदा कर्मचारियों को वेतन और पेंशन नहीं मिलने से उनके दैनिक कामों के लिए गंभीर संकट खड़ा हो गया है.
अभाविप के राष्ट्रीय महामंत्री ने क्या कहा?
अभाविप के राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल ने कहा कि यह अत्यंत शर्मनाक है कि बिहार के अपर मुख्य शिक्षा सचिव के अड़ियल रवैये के कारण विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों की स्थिति पूरी तरह से चरमराई हुई है. लगभग 26 लाख से अधिक विद्यार्थियों का भविष्य बिगड़ रहा है. विद्यार्थी परिषद, कैबिनेट सचिव से बिहार शिक्षा क्षेत्र के हित में कार्रवाई की मांग करती है.