असम सरकार ने ग्रामीण महिला उद्यमियों के लिए वित्तीय सहायता योजना में कुछ नई शर्तों को लागू किया है. इसमें महिलाओं के बच्चों की संख्या सीमा को जोड़ा गया है. अगर सामान्य और ओबीसी श्रेणियों की महिलाएं अगर किसी वित्तीय योजना का लाभ उठाना चाहती हैं तो उनके तीन से अधिक बच्चे नहीं होने चाहिए, जबकि अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अनुसूचित जाति (एससी) की महिलाओं के लिए यह सीमा चार बच्चों तक की है.
असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने गुरुवार (11 जनवरी) को मुख्यमंत्री महिला उद्यमिता अभियान (MMUA) की घोषणा करते हुए कहा कि धीरे-धीरे राज्य सरकार की सभी लाभार्थी योजनाएं में इस तरह की जनसंख्या मानदंडों को लागू किया जाएगा. उन्होंने कहा कि यह फैसला 2021 में उनकी घोषणा के अनुरूप है.
इन जनजातियों को मिली छूट
उन्होंने कहा कि हालांकि, MMUA योजना के लिए मानदंडों में फिलहाल ढील दी गई है और एसटी दर्जे की मांग कर रही मोरन, मोटोक और ‘टी ट्राइब्स’ पर भी चार बच्चों की सीमा लागू की गई है. इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण स्वयं सहायता समूहों में शामिल महिलाओं को ग्रामीण सूक्ष्म उद्यमियों के रूप में विकसित करने में मदद करना है.
‘कारोबार कर सकेंगी महिलाएं’
सरमा ने कहा कि इस योजना को बच्चों की संख्या से इसलिए जोड़ा गया है ताकि महिलाएं पैसे का इस्तेमाल करके अपने कारोबार को स्थापित कर सकें. उन्होंने कहा कि अगर एक महिला के चार बच्चे हैं, तो उसे पैसे खर्च करने का समय कहां मिलेगा, व्यवसाय करने का समय कहां मिलेगा? वह बच्चों को पढ़ाई कराने में व्यस्त रहेंगी.
इन शर्तों को भी करना होगाा पूरा
बच्चों की संख्या की एक सीमा के अलावा, लाभार्थियों को दो अन्य शर्तें भी पूरी करनी होंगी. अगर उनके पास लड़कियां हैं, तो उन्हें स्कूल में नामांकि करना होगा. अगर लड़की की उम्र स्कूल जाने की नहीं है, तो महिलाओं को एक शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करना होगा कि समय आने पर उन्हें स्कूल में नामांकित किया जाएगा. साथ ही पिछले साल सरकार के वृक्षारोपण अभियान, अमृत बृक्ष आंदोलन के तहत उन्होंने जो पेड़ लगाए थे, उन्हें जीवित रखना होगा.