कर्नाटक के बेंगलुरु में कथित तौर पर इंजीनियर आत्महत्या का मामला पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस मामले को लेकर हार कोई इंजीनियर की मौत को लेकर कानून व्यवस्था को लेकर सवाल उठा रहा है। इसी कड़ी में सुप्रीम कोर्ट ने मामले को लेकर सख्त टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे कानूनी प्रावधानों का इस्तेमाल निजी लाभ के लिए पतियों और ससुराल वालों को परेशान करने के लिए किया जा रहा है। ऐसे मामले में सुप्रीम कोर्ट निचली अदालतो को हिदायत दी है कि वह तलाक के एक मामले पर में उल्लिखित कारणों के आधार पर अपने आदेश देने की सलाह दी।
जौनपुर फैमिली कोर्ट की जज पर हो कार्रवाई
बेंगलुरु में एक AI इंजीनियर की आत्महत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट के वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) को एक चिट्ठी लिखकर इस मामले में गंभीर आरोपों की जांच की मांग की है। चिट्ठी में आरोप लगाया गया है कि जौनपुर फैमिली कोर्ट की प्रिंसिपल जज के खिलाफ भी नोट के आधार पर उक्त जज के खिलाफ कार्रवाई की जाए। वकील ने लिखा कि अतुल सुभाष को भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी और उत्पीड़न के कारण आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया गया।
24 पन्नों का सुसाइड नोट अतुल सुभाष की सुसाइड
गौरतलब है कि बेंगलुरु की एक निजी कंपनी में काम करने वाले अतुल सुभाष ने 24 पन्नों का सुसाइड नोट छोड़ा था, जिसमें उसने वैवाहिक जीवन में लंबे समय से तनाव, उसके खिलाफ दर्ज कई मामलों तथा उसकी पत्नी, उसके ससुराल वालों और उत्तर प्रदेश के एक न्यायाधीश द्वारा प्रताड़ित किए जाने का विस्तृत विवरण दिया है। बातचीत के दौरान सुभाष के भाई विकास ने कहा, ‘‘मैं चाहता हूं कि मेरे भाई को न्याय मिले। मैं चाहता हूं कि इस देश में एक ऐसी कानूनी प्रक्रिया हो जिसके जरिए पुरुषों को भी न्याय मिल सके। मैं उन लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई चाहता हूं जो विधिक पद पर बैठे हैं और भ्रष्टाचार कर रहे हैं, क्योंकि अगर यह जारी रहा तो लोग न्याय की उम्मीद कैसे कर पाएंगे।
पीड़ित परिवार ने की न्याय की मांग
व्यवस्था में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि न्याय की उम्मीद तभी की जा सकती है जब यह भ्रष्टाचार मुक्त हो, जब हर पक्ष को समान रूप से सुना जाए और तथ्यों के आधार पर दलीलें दी जाएं। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘न्याय की उम्मीद तभी की जा सकती है जब तथ्यों के आधार पर निर्णय लिए जाएं और अगर ऐसा नहीं होता है तो लोगों का धीरे-धीरे न्यायिक प्रणाली से विश्वास उठना शुरू हो जाएगा। इससे ऐसी स्थिति पैदा हो सकती है कि लोग शादी करने से डरने लगेंगे। पुरुषों को लगने लगेगा कि अगर उन्होंने शादी कर ली तो वे रुपये निकालने वाले ‘एटीएम’ बनकर रह जाएंगे।
न्यायाधीश ने भतीजे को अपमानित किया- मृतक के चाचा आरोप
सुभाष का शव सोमवार को मराठाहल्ली पुलिस थाना क्षेत्र के मंजूनाथ लेआउट इलाके में स्थित उनके घर में फंदे से लटका मिला था। सुभाष के चाचा पवन कुमार ने आरोप लगाया कि उनके भतीजे को रुपयों के लिए परेशान तथा प्रताड़ित किया जा रहा था और उसकी पत्नी तथा न्यायाधीश ने भी उसे अपमानित किया। उन्होंने कहा, ‘‘जो कुछ हुआ वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। वह केस हार रहा था (जो उसकी पत्नी ने दायर किया था)। उसे प्रताड़ित किया जा रहा था। वे (पत्नी और ससुराल वाले) उससे लगातार रुपये मांग रहे थे। अपनी हैसियत के अनुसार वह बच्चे के भरण-पोषण के लिए उसे (पत्नी को) रुपये दे रहा था।
भरण-पोषण के लिए 40,000 रुपये प्रतिमाह दे रहा था मृतक
शुरुआत में परिवार ने 40,000 रुपये प्रति माह की मांग की, बाद में इसे दोगुना कर दिया और फिर सुभाष से एक लाख रुपये देने को कहने लगे। कुमार ने आरोप लगाया कि सुभाष की पत्नी और उसके ससुराल वाले उनके भतीजे से बच्चे (सुभाष का चार वर्षीय बेटा) के भरण-पोषण के बहाने रुपये ऐंठ रहे थे। उन्होंने कहा कि इस उम्र के बच्चे को पालने के लिए कितने पैसे की आवश्यकता होगी भला? उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘उसकी पत्नी ने यहां तक कहा कि अगर वह यह रकम नहीं चुका सकता है तो उसे आत्महत्या कर लेनी चाहिए, जिस पर न्यायाधीश भी हंस पड़े। इससे उसे बहुत दुख पहुंचा।
पत्नी और ससुराल वालों के खिलाफ केस दर्ज
उन्होंने बताया कि पिछले छह माह से सुभाष के मन में आत्महत्या के विचार आ रहे थे ‘‘और आखिरी क्षण तक उसने हमें कुछ भी नहीं बताया।” कुमार ने कहा कि परिवार को इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि सुभाष ऐसा कुछ कर सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘सुभाष ने हर काम के लिए एक टाइम टेबल बना रखा था।” सुभाष की मौत के बाद उसकी पत्नी और उसके ससुराल वालों के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया है। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘हम प्रभारी निरीक्षक के नेतृत्व में एक पुलिस टीम को उत्तर प्रदेश भेजेंगे। यह टीम जांच के तहत सुभाष की पत्नी और उसके ससुराल वालों से पूछताछ करेगी। हम सभी आरोपों की जांच कर रहे हैं।