विश्व मधुमेह दिवस लाखों लोगों को प्रभावित करने वाली एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती
विश्व मधुमेह दिवस, जो कि हर साल 14 नवंबर को मनाया जाता है, दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित करने वाली एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती, मधुमेह के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के तौर पर काम करता है। यह कार्यक्रम मधुमेह की रोकथाम, त्वरित निदान, प्रभावी प्रबंधन और न्यायसंगत देखभाल पहुंच में व्यापक कार्रवाई की तत्काल जरूरत पर प्रकाश डालता है। इस वर्ष की विषयवस्तु, ‘ब्रेकिंग बैरियर्स, ब्रिजिंग गैप्स’, मधुमेह की देखभाल में बाधाओं पर काबू पाने और यह सुनिश्चित करने के लिए सामूहिक प्रतिबद्धता पर प्रकाश डालती है कि निदान किए गए हर व्यक्ति को उच्च गुणवत्ता वाला, किफायती उपचार तक पहुंच प्राप्त हो।
2024 में, “ब्रेकिंग बैरियर्स, ब्रिजिंग गैप्स” का उद्देश्य स्वास्थ्य देखभाल में समावेशिता पर ध्यान केंद्रित करने को प्रोत्साहन देना, मधुमेह की देखभाल में असमानताओं को दूर करने के लिए सरकारों, स्वास्थ्य संगठनों और समुदायों के बीच सहयोग पर जोर देना है। यह विषयवस्तु न केवल मधुमेह के जोखिम कारकों को कम करने के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण की मांग करती है बल्कि इस स्थिति से पीड़ित लोगों को निरंतर सहायता भी देती है। समारोहों, शैक्षिक कार्यक्रमों और अभियानों का उद्देश्य समुदाय और लोग, दोनों को स्वस्थ भविष्य की दिशा में सक्रिय कदम उठाने के लिए प्रेरित करना है, जिसका लक्ष्य उपचार के अंतर को कम करना और मधुमेह से प्रभावित लाखों लोगों के जीवन का उत्थान करना है।
मधुमेह एक दीर्घकालिक स्थिति है जो या तो अग्न्याशय की ओर से अपर्याप्त इंसुलिन निर्माण से या शरीर द्वारा प्रभावी ढंग से इंसुलिन का उपयोग करने में असमर्थता की वजह से पैदा होती है। इंसुलिन रक्त शर्करा के स्तर को नियमित करने के लिए जरूरी है, और उचित इंसुलिन के काम के बिना, रक्त शर्करा अनियंत्रित रूप से बढ़ सकती है, एक स्थिति जिसे हाइपरग्लाइसीमिया के नाम से जाना जाता है। अनियंत्रित मधुमेह, समय के साथ, शरीर की विभिन्न प्रणालियों, विशेष रूप से तंत्रिकाओं और रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है। 2023 में प्रकाशित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद – भारत मधुमेह (आईसीएमआर आईएनडीआईएबी) अध्ययन के अनुसार, मधुमेह की व्यापकता 10.1 करोड़ है।
मधुमेह के लक्षण
मधुमेह के लक्षण अचानक प्रकट हो सकते हैं, हालांकि टाइप 2 मधुमेह में, वे धीरे-धीरे विकसित हो सकते हैं, जिस पर ध्यान देने में कभी-कभी सालों लग जाते हैं। विशिष्ट संकेतों में अधिक प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना, धुंधली दृष्टि, थकान और अकारण वजन कम होना शामिल हैं। यदि उपचार नहीं किया गया, तो मधुमेह दिल, आंखें, गुर्दे और तंत्रिकाओं जैसे महत्वपूर्ण अंगों में रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है। यह दिल के दौरे, स्ट्रोक, गुर्दे की निष्क्रियता और कुछ मामलों में क्षतिग्रस्त रेटिना रक्त वाहिकाओं के कारण स्थायी दृष्टि हानि सहित गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम को बढ़ाता है। मधुमेह से तंत्रिकाओं में क्षति और पैरों में खराब परिसंचरण भी हो सकता है, जिसके चलते अल्सर और, संभावित रूप से, अंग का काटा जाना हो सकता है।
मधुमेह को कैसे रोकें?
टाइप 2 मधुमेह को रोकने या विलंबित करने के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाना सबसे प्रभावी तरीका है। इसकी रोकथाम के लिए स्वस्थ वजन बनाए रखना, रोजाना कम से कम 30 मिनट के मध्यम व्यायाम के साथ शारीरिक रूप से सक्रिय रहना, कम शर्करा और संतृप्त वसा वाले संतुलित आहार का पालन करना और तंबाकू के उपयोग से बचना शामिल है। सक्रिय जीवनशैली प्रबंधन के माध्यम से, व्यक्ति टाइप 2 मधुमेह और उससे संबंधित जटिलताओं के विकास के जोखिम को कम कर सकते हैं।
भारत सरकार की मधुमेह रोकथाम की पहल
भारत सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत राष्ट्रीय गैर संचारी रोगों की रोकथाम एवं नियंत्रण कार्यक्रम (एनपी-एनसीडी) के हिस्से के तौर पर मधुमेह से निपटने के लिए कई सक्रिय उपाय शुरू किए हैं।
भारत सरकार, एनपी-एनसीडी के तहत, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के माध्यम से राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
मधुमेह और अन्य गैर-संचारी रोगों की रोकथाम और प्रबंधन पर ध्यान देने के साथ राज्य और केंद्रशासित प्रदेश के प्रस्तावों के आधार पर सहायता दी जाती है।
स्थानीय स्तर पर देखभाल और सुलभ सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए पूरे भारत में 743 जिला एनसीडी क्लिनिक और 6,237 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र एनसीडी क्लिनिक स्थापित किए गए हैं।
स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित करने, स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और त्वरित रोग-निदान और परामर्श की सुविधा पर जोर दिया जा रहा है।
एक जनसंख्या-आधारित पहल अमल में लाई गई जो मधुमेह, उच्च रक्तचाप और कुछ कैंसर जैसे सामान्य एनसीडी के लिए स्क्रीनिंग और नियंत्रण प्रदान करती है। 30 से अधिक उम्र के लोगों पर फोकस करते हुए, आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में दी जाने वाली स्क्रीनिंग स्वास्थ्य सेवाओं का एक मुख्य हिस्सा है।
ये केंद्र निवारक स्वास्थ्य प्रथाओं को बढ़ावा देते हैं, स्क्रीनिंग लागू करते हैं और समुदाय-आधारित कल्याण पहल में हिस्सेदारी करते हैं।
राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य दिवसों के आयोजन के जरिए मधुमेह पर सार्वजनिक जागरूकता को बढ़ावा दिया जाता है।
निरंतर सामुदायिक जागरूकता और शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सामाजिक प्लेटफार्म समेत मीडिया की एक सीरीज का इस्तेमाल किया जाता है।
स्वस्थ जीवनशैली के प्रचार में पोषण पर भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) का मार्गदर्शन शामिल है।
युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय के नेतृत्व में फिट इंडिया मूवमेंट और आयुष मंत्रालय के योग कार्यक्रम सक्रिय और स्वस्थ जीवन शैली को प्रोत्साहित करते हैं।
एनपी-एनसीडी के अंतर्गत, कार्यक्रम कार्यान्वयन योजनाओं के अनुसार मधुमेह जागरूकता कार्यक्रमों के लिए राज्यों को वित्तीय सहायता मिलती है।
निवारक उपायों के साथ ही, एनपी-एनसीडी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के अनुरोध के अनुसार ग्लूकोमीटर और मधुमेह दवाओं की खरीद के लिए वित्तीय सहायता भी प्रदान करता है। एनएचएम की नि:शुल्क औषधि सेवा पहल आर्थिक रूप से कमजोर समूहों को इंसुलिन सहित नि:शुल्क आवश्यक दवाएं प्रदान करती है।
प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) के जरिए, व्यापक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए राज्यों के सहयोग से इंसुलिन सहित गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाएं सस्ते दामों पर उपलब्ध कराई जाती हैं।
निष्कर्ष
विश्व मधुमेह दिवस हमें वैश्विक स्वास्थ्य पर मधुमेह के बढ़ते प्रभाव और इस पुरानी स्थिति को रोकने, निदान और प्रबंधन के लिए सामूहिक कार्रवाई की तत्काल आवश्यकता की याद दिलाता है। 2024 में, विषयवस्तु ‘ब्रेकिंग बैरियर्स, ब्रिजिंग गैप्स’ विशेष रूप से कम प्रतिनिधित्व वाले समुदायों के लिए सुलभ, उच्च गुणवत्ता वाली मधुमेह देखभाल पर विशेष ध्यान को रेखांकित करता है। भारत सरकार की पहल उन्नत स्वास्थ्य देखभाल पहुंच, जागरूकता कार्यक्रमों और जीवनशैली के सुधार कार्यक्रमों के माध्यम से मधुमेह की रोकथाम के लिए एक सक्रिय, बहुआयामी दृष्टिकोण को दर्शाती है। इन पहलों का उद्देश्य जागरूकता को बढ़ावा देकर, संसाधन उपलब्ध कराकर और स्वस्थ जीवन को प्रोत्साहित करके मधुमेह की व्यापकता को कम करना और इसकी दीर्घकालिक जटिलताओं को घटाना है, जिससे सभी नागरिकों के लिए एक स्वस्थ भविष्य में योगदान दिया जा सके।
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