पूर्वी चंपारण जिले के कल्याणपुर प्रखंड स्थित कथवलिया-बहुआरा में विराट रामायण मन्दिर का निर्माण मंगलवार को भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा के अवसर पर प्रारंभ होगा। महावीर मन्दिर न्यास की यह सबसे बड़ी और महत्वाकांक्षी परियोजना है। मंदिर के कुल 3102 भूगर्भ-खंभों (पाइलों) में पहले भूगर्भ-खंभे की नींव रखी जाएगी। इसी साल नवंबर तक पाइलिंग पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
महावीर मन्दिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि वर्ष 2025 के महाशिवरात्रि तक मन्दिर में विश्व के सबसे बड़े शिवलिंग की स्थापना हो जाएगी। उस वर्ष के आखिर तक विराट रामायण मन्दिर बनकर तैयार हो जाएगा। मन्दिर के कुल 12 शिखरों की साज-सज्जा में और दो वर्ष लगेंगे। मन्दिर तीन मंजिला होगा। मन्दिर में प्रवेश के बाद प्रथम पूज्य विघ्नहर्ता भगवान गणेश के दर्शन होंगे। वहां से बढ़ते ही काले ग्रेनाइट की चट्टान से बने विशाल शिवलिंग के दर्शन होंगे।
चेन्नई के निकट महाबलिपुरम में 250 टन वजन के ब्लैक ग्रेनाइट पत्थर की चट्टान को तराशकर मुख्य शिवलिंग के साथ सहस्रलिंगम भी बनाया जा रहा है। आठवीं शताब्दी के बाद सहस्रलिंगम का निर्माण भारत में नहीं हुआ है। शिवलिंग का वजन 200 टन, ऊंचाई 33 फीट और गोलाई 33 फीट होगी। मन्दिर का क्षेत्रफल 3.67 लाख वर्गफुट होगा। सबसे ऊंचा शिखर 270 फीट का होगा। 198 फीट का एक शिखर होगा। जबकि 180 फीट के चार शिखर रहेंगे। 135 फीट का एक शिखर और 108 फीट ऊंचाई के 5 शिखर होंगे। विराट रामायण मन्दिर की लंबाई 1080 फीट और चौड़ाई 540 फीट है। विराट रामायण मन्दिर में कुल 22 देवालय होंगे।
मन्दिर निर्माण के लिए 120 एकड़ जमीन उपलब्ध है। इसे जानकी नगर के रूप में विकसित किया