Voice Of Bihar

खबर वही जो है सही

पीले खरबूज ने बदल दी किसानों की किस्मत, छोटे खेत से हो रही डेढ़ लाख की कमाई

ByRajkumar Raju

मई 16, 2024
muskmelon

त्रिपुरा के कई हिस्‍सों, खासतौर पर गोलाघाटी गांव में बसे किसान एक ऐसी सक्‍सेस स्‍टोरी लिख रहे हैं जिसके बारे में कभी किसी ने कल्‍पना भी नहीं की होगी. यहां के सिपाहीजला जिले के तहत आने वाले बिशालगढ़ सब-डिविजन में स्थित गोलाघाटी गांव के किसान, ऑफ-सीजन में पीले खरबूज की खेती करके मालामाल हो रहे हैं. इस खेती के जरिये उन्‍हें काफी फायदा मिल रहा है. पीले खरबूज का बाहरी हिस्‍सा किसी सामान्य तरबूज सा दिखता है और इसमें धारीदार हरा छिलका होता है.

हो रहा है अधिक मुनाफा

पीले खरबूज को काटने पर, अंदर पीला सुनहरे रंग का गूदा मिलेगा. लाल तरबूज की तरह ही  पीला तरबूज मीठा, रसदार और अविश्वसनीय रूप से स्वादिष्‍ट होता है. कुछ लोगों का तो यहां तक कहना है कि पीले तरबूज का स्‍वाद शहद जैसा मीठा होता है.  पीला तरबूज बाजार में उतना आम नहीं है, लेकिन किसान कर्नाटक, आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों के कुछ हिस्सों में इसकी खेती करते हैं. वहीं अब अब इसकी खेती त्रिपुरा में भी की जाने लगी है. त्रिपुरा लाल तरबूज की खेती के लिए जाना जाता है, अधिक मुनाफे की उम्मीद में किसानों ने धीरे-धीरे पीले तरबूज की खेती शुरू कर दी है.

लाखों रुपये तक का फायदा

खेती का यह नया दृष्टिकोण न केवल स्थानीय किसानों के लिए आर्थिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दे रहा है बल्कि में पोषण संबंधी जरूरतों को भी पूरा कर रहा है. अनिमेष सरकार, तन्मय सरकार, शुभंकर देब और रामू रॉय जैसे किसानों ने गोलाघाटी गांव में पीले तरबूज की खेती का बीड़ा उठाया.  इस साल  संयुक्त रूप से 2.78 हेक्टेयर जमीन पर इन्‍होंने जो राजस्व अर्जित किया है वह महत्‍वपूर्ण है. एक रिपोर्ट की मानें तो खर्चों में कटौती के बाद भी यह लाखों रुपये तक पहुंच गया है.  इस सफलता से प्रेरित होकर, गोलाघाटी के कई किसान अब पीले तरबूज की खेती को अपनाने के लिए उत्सुक हैं, जिससे जिले के कई क्षेत्रों में इसका विस्तार हो रहा है.

क्‍या है बाजार में कीमत

इंडिया टुडे के साथ बातचीत में अनिमेष सरकार ने इस खेती को लेकर अपनी संतुष्टि जताई. साथ ही उन्‍होंने बताया कि कैसे कृषि विभाग से उन्‍हें महत्वपूर्ण मदद इस दिशा में दी गई. उनका कहना था कि कृषि अधिकारियों के मार्गदर्शन ने ऐसी सफल खेती में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.  हालांकि ऐसे तरबूजों की खेती के पीछे बहुत समय लगता है, लेकिन हमें मुनाफा हो रहा है. बाजार में एक किलो पीला तरबूज थोक में 40 रुपये से 70 रुपये में मिलता है, जबकि खुदरा कीमतें 70 रुपये से 80 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच होती हैं.

क्‍या है आकर्षण की वजह

एक और किसान सुभान देब ने कहा है कि एक हेक्‍टेयर भूमि पर खेती करने की लागत 40000 रुपये के बीच है. जबकि संभावित कमाई खर्चों को छोड़कर 1 लाख 40 हजार रुपये प्रति हेक्‍टेयर तक पहुंचती है.  यही मुनाफा ज्‍यादा से ज्‍यादा किसानों को पीले तरबूज की खेती में आगे बढ़ने के लिए आकर्षित कर रहा है. इस पहल से कृषि श्रमिकों को भी लाभ हो रहा है, क्योंकि ऑफ-सीजन के दौरान श्रम की मांग बढ़ जाती है. दिहाड़ी मजदूरों को तरबूज की खेती में रोजगार के अवसर मिलते हैं, जो उनकी आजीविका में योगदान करते हैं.


Discover more from Voice Of Bihar

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Discover more from Voice Of Bihar

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading