आरबीआई का लक्ष्य खुदरा महंगाई दर को लगातार 4% (- + 2%) के स्तर पर रखना है। अप्रैल 2024 का खुदरा महंगाई का डेटा बताता है कि आरबीआई ने महंगाई पर कंट्रोल पा लिया है।
इस समय कई बैंक एफडी पर 9 फीसदी तक की शानदार ब्याज दर ऑफर कर रहे हैं। लेकिन एफडी में उच्च ब्याज दरों का यह दौर अब ज्यादा दिन नहीं चलने वाला है। आने वाले समय में एफडी रेट्स के गिरने की आशंका है। आरबीआई ने आज अपनी एमपीसी बैठक में रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर यथावत रखने का निर्णय लिया है। यह आठवीं बार है, जब आरबीआई ने प्रमुख ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। अब कई एक्सपर्ट्स का कहना है कि ब्याज दरों में इजाफे का चक्र खत्म हो गया है और अब जल्द ही या कुछ समय बाद दरों में गिरावट का चक्र शुरू होगा। हालांकि, ब्याज दरों में गिरावट का चक्र शुरू होने में देर हो रही है।
कब घटती हैं एफडी की ब्याज दरें?
एफडी और लोन पर ब्याज दरें आरबीआई की रेपो रेट पर डिपेंड करती है। रेपो रेट वह रेट होती है, जिस पर आरबीआई कमर्शियल बैंकों को कर्ज देता है। जब रेपो रेट अधिक होती है, तो बैंकों को आरबीआई से महंगा कर्ज मिलता है और वे पर्सनल, होम और कार लोन पर ब्याज दरों को बढ़ा देते हैं। जब आरबीआई रेपो रेट घटाता है, तो बैंक भी ग्राहकों के लिए लोन पर ब्याज दरों को कम कर देते हैं। वहीं, बढ़ी हुई रेपो रेट एफडी ग्राहकों के लिए अच्छी होती है। रेपो रेट बढ़ने पर बैंक डिपॉजिट पर दरों को बढ़ा देते हैं। जब रेपो रेट घटती है, तो एफडी पर ब्याज दर भी घटने लगती है।
आरबीआई क्यों घटाएगा ब्याज दर?
रेपो रेट निर्धारण में महंगाई का अहम योगदान होता है। जब महंगाई बढ़ती है, तो उस पर कंट्रोल पाने के लिए आरबीआई रेपो रेट बढ़ाता है। इससे मार्केट में लिक्विडिटी कम होती है और महंगाई पर काबू पाया जाता है। आरबीआई का लक्ष्य खुदरा महंगाई दर को लगातार 4% (- + 2%) के स्तर पर रखना है। अप्रैल 2024 का खुदरा महंगाई का डेटा बताता है कि आरबीआई ने महंगाई पर कंट्रोल पा लिया है। यह अप्रैल में 11 महीने के निचले स्तर 4.83 फीसदी पर रही थी। ऐसे में अब आरबीआई बढ़ी हुई रेपो रेट में कटौती का फैसला ले सकता है।
कब घटने लगेंगी रेट्स
बेसिक होम लोन के सीईओ और को-फाउंडर अतुल मोंगा ने कहा, ‘अधिकांश एक्सपर्ट्स अगस्त में होने वाली अगली एमपीसी में रेट कट की उम्मीद नहीं कर रहे हैं। लेकिन अक्टूबर के आस-पास रेट कट होना शुरू हो सकता है। महंगाई को लेकर अनुमान भी थोड़े कम आ सकते हैं। जबकि ग्रोथ अनुमान स्थिर रहने की उम्मीद है।’