देश की प्रथम महिला शिक्षक और समाज सेविका सावित्रीबाई फुले जी की जयंती पर नमन करते हुए भाजपा क्षेत्रीय प्रभारी it सोशल मिडिया, बिहार युवा नेता रंजीत यादव ने कहा- सावित्री बाई का जन्म 3 जनवरी 1831 को दलित परिवार में हुआ था। मात्र 9 साल की उम्र में उनका 13 साल के ज्योतिबा फुले से विवाह हो गया था।
सावित्रीबाई फुले बाल विवाह का विरोध तो नहीं कर सकी लेकिन अपने क्रांतिकारी पति ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर लड़कियों के लिए कई कदम उठाएं। उन्होंने लड़कियों के लिए 18 स्कूल खोलें। जिसमें से पहला और 18वां स्कूल पुणे में खोला था।
सावित्री बाई फुले देश की पहली महिला अध्यापक-नारी मुक्ति आंदोलन की पहली नेता थीं।
असामाजिक और बुरी रीतियों के खिलाफ सावित्री बाई फुले ने अपने पति के साथ मिलकर आवाज उठाई। छुआछूत, सती प्रथा, बाल-विवाह, और विधवा विवाह जैसी कुरीतियों के विरूद्ध काम किया। उन्होंने मजदूरों के लिए रात्रि में स्कूल खोला ताकि दिन में काम पर जानें वाले मजदूर रात में पढ़ाई कर सकें।
गांव छुआ-छुत से परेशान लोगों को पानी नहीं मिल पाता था। ऐसे में सावित्री बाई फुले ने अपने घर का कुआं खोल दिया था।
सावित्री बाई ने बहुत बड़ा और साहसिक कदम उठाया। जी हां, एक विधवा को आत्महत्या करने से रोका और उसकी डिलीवरी अपने घर पर कराई। बाद में सावित्री बाई ने पुत्र को पालकर बड़ा किया और डॉक्टर बनाया।
1897 में पुणे में प्लेग नामक बीमारी फैली लेकिन वह लोगों की सेवा करती रही है। ऐसे में सावित्री बाई भी इसकी चपेट में आग गई और 10 मार्च का उनका निधन हो गया।
सावित्री बाई फुले का पूरा जीवन समाज सेवा में निकला। गलत के खिलाफ आवाज उठाई, समाज की कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई, महिलाओं के हक के लिए लड़ी तो महामारी आने पर लोगों की सेवा करते-करते अंतिम सांस ली।